अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब प्रशासन पर दबाव बढ़ाते हुए इसे गंभीर मामला बताया है. जमाल सऊदी अरब दूतावास में जाने के बाद लापता हैं.
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वॉशिंगटन : सऊदी अरब के निवासी और वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खाशोगी के रहस्यमय ढंग से लापता होने का मामला तूल पकड़ चुका है. ये मामला इतने गंभीर मोड़ पर पहुंच चुका है, जिसके कारण अब अमेरिका को सऊदी अरब पर दबाव बनाना पड़ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब प्रशासन पर दबाव बढ़ाते हुए इसे गंभीर मामला बताया है. इसी का असर है कि सऊदी अरब सरकार ने जमाल खाशोगी के मामले में 15 लोगों की पहचान की है. पिछले दिनों तुर्की में अपनी शादी के संबंध में सऊदी अरब के दूतावास में कुछ कागज लेने गए जमाल वापस लौट कर नहीं आए. तभी से वह लापता हैं. हालांकि शुरुआत में सऊदी सरकार ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि जमाल थोड़े समय बाद ही वहां से चले गए, लेकिन अब मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच की जा रही है.
अपने ऑफिस में एक बातचीत में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ये बहुत गंभीर मामला है, हम इस मामले की हर बात जानना चाहते हैं, हमने इसलिए सऊदी अरब से इस विषय में पूरी पड़ताल करने के लिए कहा है. हम देख रहे हैं कि इसमें और क्या हो सकता है. ट्रंप ने कहा मैं औ मेलानिया जल्द ही जमाल की मंगेतर हेतिस सेनगिज को व्हाइट हाउस में आमंत्रित करेंगे. बता दें कि जमाल खाशोगी की मंगेतर तुर्की से ही हैं. वह उनसे शादी करना चाहते थे. इसी संबंध में वह कुछ कागजों के लिए सऊदी अरब दूतावास में गए थे. उनकी मंगेतर बाहर उनका इंतजार कर रही थीं. लेकिन तभी से वह लापता हैं.
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व्हाइट हाउस के अनुसार, अब तक इस मामले पर अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोन बोल्टन, वरिष्ठ सलाहकार जेराड कुशनर और ट्रंप के दामाद अब तक सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात कर चुके हैं.
कौन हैं जमाल खाशोगी?
मूलत: सऊदी अरब के रहने वाले जमाल खाशोगी ने अमेरिका से पढ़ाई की है. 80 के दशक में उन्होंने जर्नलिज्म की शुरुआत की. अफगानिस्तान और रूस के युद्ध को उन्होंने कवर किया था. उन्होंने लंबे चले इस युद्ध को सउदी गजेट के लिए कवर किया. 1990 में अल्जीरिया वॉर की रिपोर्टिंग के लिए लिए वह मिडिल ईस्ट भी गए. अल कायदा के बनने से पहले ही उन्होंने ओसामा बिन लादेन का इंटरव्यू लिया था.
खाशोगी सऊदी अरब की रॉयल फैमिली के काफी करीबी रह चुके हैं. इसी कारण उन्हें सरकार का सलाहकार नियुक्त किया गया था. लेकिन उसके बाद उनके संबंध सऊदी सरकार से तब बिगड़े जब उन्होंने यमन और सीरिया में सरकार के कामों की आलोचना की. इसके बाद उन्हें पिछले साल सऊदी अरब छोड़ना पड़ा.