US: ‘अगर राष्ट्रपति सेना को तख्तापलट करने का आदेश दे तो क्या होगा’- सुप्रीम कोर्ट का ट्रंप के वकील से सवाल
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US: ‘अगर राष्ट्रपति सेना को तख्तापलट करने का आदेश दे तो क्या होगा’- सुप्रीम कोर्ट का ट्रंप के वकील से सवाल

US Supreme Court Hearing:  डोनाल्ड ट्रंप की दलील है कि वह राष्ट्रपति पद पर रहते हुए किए गए कार्यों के लिए आपराधिक आरोपों से पूर्ण छूट के हकदार हैं.

US: ‘अगर राष्ट्रपति सेना को तख्तापलट करने का आदेश दे तो क्या होगा’- सुप्रीम कोर्ट का ट्रंप के वकील से सवाल

Donald Trump News: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को लगभग तीन घंटे तक इस पर विचार किया कि क्या पूर्व राष्ट्रपतियों को प्रॉसिक्यूशन से छूट है और यदि है तो इसका वास्तव में क्या मतलब है? इस सवाल का जवाब यह तय करेगा कि क्या पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव परिणाम को विफल करने की कोशिश के आरोप में मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं.

बीबीस की रिपोर्ट के मुताबिक फैसला जो भी हो, लेकिन यह आने वाले वर्षों में अमेरिकी लोकतंत्र को आकार देगा. जस्टिस नील गोरसच ने कहा, 'हम युगों के लिए एक नियम लिख रहे हैं.'

ट्रंप की है ये दलील?
बता दें ट्रंप की दलील है कि वह राष्ट्रपति पद पर रहते हुए किए गए कार्यों के लिए आपराधिक आरोपों से पूर्ण छूट के हकदार हैं. पूर्व राष्ट्रपति अनुसार, यह छूट उन्हें अमेरिकी विशेष वकील जैक स्मिथ द्वारा लगाए गए आपराधिक आरोप से बचाती है. बता दें उन पर पर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों को पलटने की कोशिश करने का आरोप है.

रिपोर्ट के मुताबिक मामले की सुनवाई तब तक रुकी रहेगी जब तक अदालत अपना फैसला नहीं सुना देती, जो जून में होने की उम्मीद है.

जजों ने पूछे तीखे सवाल
जजों ने दोनों पक्षों से तीखे सवाल पूछे जो कि पीठ के भीतर विभाजन का संकेत देते हैं. यह इस बात का इशारा भी है कि मामले में विभाजित निर्णय की संभावना हो सकती है.

बेंच में रूढ़िवादी जजों का बहुमत है और उदारवादी जज अल्पसंख्यक हैं. रूढ़िवादी पक्ष इस विचार के लिए खुला लग रहा था कि सभी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों को कुछ हद तक छूट मिलनी चाहिए.

ट्रंप के वकील से जजों के सवाल
हालांकि सभी जजों ने ट्रंप के वकील, डीन जॉन सॉयर द्वारा दिए गए तर्कों पर संदेह व्यक्त किया कि एक पूर्व राष्ट्रपति को प्रॉसिक्यूशन से लगभग पूर्ण सुरक्षा प्राप्त है.

'अगर राष्ट्रपति सेना को तख्तापलट करने का आदेश दे तो कैसा रहेगा?' अदालत के तीन लिबरल जजों में से एक, न्यायमूर्ति एलेना कागन से पूछा. इस सवाल का जवाब देते हुए सॉयर कहा कि यह 'परिस्थितियों पर निर्भर करेगा.'

जस्टिस केतनजी ब्राउन जैक्सन, एक अन्य लिबरल जज, ने चिंता व्यक्त की कि अगर पिछले राष्ट्रपतियों को पूरी तरह से क्रिमिनल प्रॉसिक्यूशन से बचाया गया, तो वे कानून से मुक्त हो जाएंगे.

रूढ़िवादी जजों ने भी सॉयर पर 'आधिकारिक काम' - जो राष्ट्रपति के कर्तव्यों के हिस्से के रूप में किए गए हों - और निजी कामों के बीच अंतर करने पर दबाव डाला.

 

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