चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में मिस्ड कॉल से नहीं, ऐसे मिलती है एंट्री
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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में मिस्ड कॉल से नहीं, ऐसे मिलती है एंट्री

भारत में किसी राजनीतिक दल का सदस्य बेहद आसान होता है. पार्टी कार्यालय या उनके द्वारा लगाए कैंप में एक फॉर्म में नाम-पता भरने की औपचारिकता पूरी कर किसी भी पार्टी का सदस्य बना जा सकता है. बीजेपी ने तो इस प्रक्रिया को और भी आसान बनाते हुए महज मोबाइल से मिस्ड कॉल पर पार्टी की सदस्यता दे देती है. वहीं चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता लेना किसी ग्रेजुएशन की परीक्षा पास करने जितना मुश्किल है.

चीन के राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव शी जिनपिंग भारत के प्रधानमंत्री और बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी के साथ. तस्वीर साभार: PTI फाइल

नई दिल्ली: अक्सर चर्चा होती है कि चीन हमसे करीब दो साल बाद आजाद होने के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर भारत से कई गुना ज्यादा आगे निकल गया है. तकनीक के मामले में भी चीन ने भारत को आगे है. अर्थशास्त्री इसके लिए चीन और भारत की राजनीतिक व्यवस्था में अंतर को बड़ा कारण मानते हैं. भारत में लोकतंत्र का स्वरूप इतना सरल और सर्वसुलभ है कि यहां की सत्ता में हर नागरिक की भागीदारी होती है. वहीं चीन में कहने को तो जनतंत्र है, लेकिन वहां इस तरह की राजनीतिक व्यवस्था कायम की गई है, जिसमें जन भागीदारी के अवसर न के बराबर हैं. साल 2016 तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का दावा था कि वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है. भारत में वर्तमान में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को कार्यकर्ता के मामले में पछाड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनने की घोषणा की थी. यहां आपको समझाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर बीजेपी या किसी भारतीय राजनीतिक दल का सदस्य बनने और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का मेंबर बनने में कितना बड़ा फर्क है.

  1. भारत में किसी भी राजनीतिक पार्टी की सदस्यता लेना है बेहद आसान
  2. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होना है बेहद मुश्किल प्रक्रिया
  3. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 9 करोड़ सदस्य, बीजेपी इससे आगे निकली

ग्रेजुएशन की परीक्षा पास करने जितना मुश्किल है कम्युनिस्ट पार्टी का मेंबर बनना
भारत में किसी राजनीतिक दल का सदस्य बेहद आसान होता है. पार्टी कार्यालय या उनके द्वारा लगाए कैंप में एक फॉर्म में नाम-पता भरने की औपचारिकता पूरी कर किसी भी पार्टी का सदस्य बना जा सकता है. बीजेपी ने तो इस प्रक्रिया को और भी आसान बनाते हुए महज मोबाइल से मिस्ड कॉल पर पार्टी की सदस्यता दे देती है. वहीं चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता लेना किसी ग्रेजुएशन की परीक्षा पास करने जितना मुश्किल है. इसके लिए पार्टी का सिलेबस पढ़कर बकायदा परीक्षा देनी पड़ती है.

दो साल पढ़ना पड़ा कम्युनिस्ट पार्टी का सिलेबस
द इकोनॉमिस्ट की खबर के मुताबिक टोनी लीने नाम का शख्स जब 10वीं में पढ़ता था तो उसने कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होने की इच्छा जताई थी. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उसके तीन पेज की अर्जी को ठुकरा दिया था. जब वह यूनिवर्सिटी में पहुंचा तो दोबारा अर्जी लगाई. अर्जी देने के बाद टोनी लीने को दो साल तक कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से चलाई जाने वाली क्लास में शामिल होना पड़ा. यहां उसे कम्युनिस्ट पार्टी का इतिहास और राजनीति पैटर्न पढ़ाया गया. इस दौरान उसे दर्जनों दार्शनिक आर्टिकल लिखने पड़े. ग्रेजुएट होने से ठीक पहले उसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता मिली.

शी जिनपिंग ने बंद किए पार्टी के दरवाजे
साल 2016 तक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के करीब 9 करोड़ सदस्य थे. इस आंकड़े को माने तो हर 12 वयस्क चीनियों में एक पार्टी का सदस्य रहा होगा. जर्मनी के मरकेंटर इंस्टीट्यूट के ली शिह ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया है कि 1985 के बाद से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का आकार दोगुना हो गया है. साल 2012 में शी जिनपिंग के पार्टी महासचिव बनने के बाद से पार्टी में नए सदस्यों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है. पिछले साल 0.8 फीसदी की वृद्धि कई दशकों में सबसे कम है. 

पार्टी के आंख-कान होते हैं कार्यकर्ता
अपने भारत में ये बात आम है किसी 'A' पार्टी का कार्यकर्ता 'B' की जनसभाओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता हुआ दिखता है, लेकिन चीन में इसके बेहद सख्त नियम हैं. कई दफा वे पार्टी लाइन से हटकर व्यवसाय भी करते हैं. वहीं चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के सदस्य देश भर में इकाइयों के रूप में सक्रिय रहते हैं. वे देश की हर हरकत पर नजर रखते हैं और पार्टी के लिए आंख-कान का काम करते हैं. 

1990 की घटना के बाद युवाओं का घटा था रूझान
यूं तो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में ज्यादातर कारोबारी सदस्य हैं. युवाओं का औसत अपेक्षाकृत कम है. साल 1990 में तियानामेन चौक पर युवाओं की भीड़ लोकतंत्र की मांग को लेकर एकत्र हुए थे, तत्कालीन सरकार ने तोप चलाकर युवाओं की मांग का दमन किया था. इसके बाद पार्टी की सदस्यता लेने वाले युवाओं का प्रतिशत केवल 2 रह गया था. हालांकि बाद के वर्षों में इसमें काफी सुधार आया. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की रिपोर्ट को माने तो साल 2012 में युवा सदस्यों के जुड़ने प्रतिशत 40 पहुंच गया था.

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