भारत और चीन के रिश्तों में असहज कड़ी है एनएसजी, सीपीईसी, अजहर जैसे मुद्दे
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भारत और चीन के रिश्तों में असहज कड़ी है एनएसजी, सीपीईसी, अजहर जैसे मुद्दे

भारत और चीन के दिन प्रति दिन जटिल होते रिश्तों को रेखांकित करते हुए एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के सामरिक स्तर की वार्ता के बावजूद जैश सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवादी घोषित करने, एनएसजी में भारत के प्रवेश के मुद्दे के साथ चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के मुद्दे पर अभी भी दोनों देशों के रिश्ते असहज बने हुए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति में भारत को अपने राजनयिक तौर तरीकों में बदलाव करने की जरूरत है . (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : भारत और चीन के दिन प्रति दिन जटिल होते रिश्तों को रेखांकित करते हुए एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के सामरिक स्तर की वार्ता के बावजूद जैश सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवादी घोषित करने, एनएसजी में भारत के प्रवेश के मुद्दे के साथ चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के मुद्दे पर अभी भी दोनों देशों के रिश्ते असहज बने हुए हैं.

रिपोर्ट में भारत के राजनयिक तौर तरीकों में बदलाव की हिमायत

रिपोर्ट में भारत के राजनयिक तौर तरीकों में बदलाव की हिमायत की गई है. इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस (आईडीएसए) से जुड़े एक सुरक्षा विशेषज्ञ पी सतोब्दन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जेईएम सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवादी घोषित करने, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह :एनएसजी: में भारत के प्रवेश के मुद्दे पर संदेह गहरा हो रहा है.

एनएसजी में भारत के प्रवेश के मुद्दे पर चीन अवरोधक बना हुआ है

उल्लेखनीय है कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने और एनएसजी में भारत के प्रवेश के मुद्दे पर चीन अवरोधक बना हुआ है. इसमें कहा गया है कि चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के तहत चीन.पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है . चीन की ओर से करीब 50 अरब डालर के निवेश से निर्मित होने वाला यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजर रहा है जिसे भारत अपना क्षेत्र मानता है.

 विवाद से निपटने के तरीके संघर्ष के बिन्दु पैदा कर रहे 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मुद्दों से स्पष्ट है कि पिछले ढाई साल में ऐसे द्विपक्षीय मुद्दों से निपटने में वर्तमान तंत्र की उपयोगिता नहीं रह गई है. संवाद की पहल और बेहतर आर्थिक संबंध दोनों देशों के बीच विश्वास का निर्माण करने में मदद नहीं पहुंचा रहा है . विवाद से निपटने के तरीके संघर्ष के बिन्दु पैदा कर रहे हैं. 

'भारत को अपने राजनयिक तौर तरीकों में बदलाव करने की जरूरत'

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति में भारत को अपने राजनयिक तौर तरीकों में बदलाव करने की जरूरत है . तिब्बत और ताइवान का शीत युद्ध काल का कार्ड आज की स्थिति में चीन के खिलाफ कारगर नहीं प्रतीत हो रहा है . आईडीएसए से जुड़े एक अन्य विशेषज्ञ जैनब अख्तर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीपीईसी को लेकर स्थानीय लोगों में असंतोष भी है क्योंकि पाकिस्तान सरकार द्वारा इस परियोजना को लेकर कोई स्पष्ट खाका और नीति पेश नहीं की गई है. विभिन्न आकलनों और पूर्वानुमानों से स्पष्ट हो रहा है कि इस परियोजना के लिए करीब 50 अरब डालर के अनुमानित निवेश की बात कहे जाने के बावजूद इस क्षेत्र को इसकी तुलना में काफी कम लाभ होगा.

बड़े कर्ज के जाल में फंस सकता है पाकिस्तान

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी बातें भी सामने आ रही हैं कि इस परियोजना के संबंध में निवेश का बड़ा हिस्सा पंजाब प्रांत से लगे क्षेत्रों में किये जाने की योजना है.
विशेषज्ञ के अनुसार, अनेक अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान के पास इतने बड़े आधारभूत संरचना विकास की जरूरतों को समाहित करने की क्षमता ही नहीं है और वह अनजाने में बड़े कर्ज के जाल में फंस सकता है . रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को इस बारे में भी सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि चीनी लोग कोई भी काम धर्मार्थ नहीं करते और इस ऋण की ब्याज दर काफी उच्च हो सकती है. पाकिस्तान को इस निवेश के एवज में कई तरह का भार करदाताओं पर डालना पड़ सकता है. 

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