DNA: इजरायल ने सीरिया में घुसकर उड़ा दिया ईरान का दूतावास, मारे गए 2 टॉप आर्मी कमांडर; अब क्या करेंगे खामनेई?
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DNA: इजरायल ने सीरिया में घुसकर उड़ा दिया ईरान का दूतावास, मारे गए 2 टॉप आर्मी कमांडर; अब क्या करेंगे खामनेई?

Zee News DNA, Israel Syria: इजरायल ने सीरिया में घुसकर ईरान का दूतावास उड़ा दिया. इस घटना के बाद ईरान बौखलाया हुआ है और बदले की धमकी दी है. लेकिन क्या वह वाकई ऐसा कुछ कर पाएगा. 

 

DNA: इजरायल ने सीरिया में घुसकर उड़ा दिया ईरान का दूतावास, मारे गए 2 टॉप आर्मी कमांडर; अब क्या करेंगे खामनेई?

Israel destroyed Iranian embassy in Syria: दुनिया में युद्ध का तीसरा मोर्चा खुलने की आशंका बढ़ गई है. इसकी वजह बन सकती है, सीरिया में ईरान के दूतावास पर की गई Airstrike. इस Airstrike को लेकर ईरान का आरोप है कि हमले के पीछे इजरायल है. ये बात जगजाहिर है कि इजरायल और ईरान एक दूसरे को बिलकुल पसंद नहीं करते, लेकिन 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हमास आतंकियों के हमले के बाद दोनों देशों के बीच तल्खी पहले से ज्यादा बढ़ गई है. जिसका नतीजा सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमले के तौर पर देखा जा रहा है. सीरिया में क्या हुआ और इससे ईरान को कितना नुकसान हुआ पहले आपको इसके बारे में बताते हैं.

दमिश्क में 1 अप्रैल को की गई एयरस्ट्राइक

1 अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में AirStrike की गई. AirStrike ईरान के वाणिज्य दूतावास को निशाना बनाकर की गई. हवाई हमले में वाणिज्य दूतावास की इमारत पूरी तरह धराशाई हुई. AirStrike में अबतक 7 लोगों के मारे जाने की बात सामने आई है. मरने वालों में ईरान के 2 टॉप कमांडर और 5 अधिकारी शामिल हैं. सीरिया के विदेश मंत्री के मुताबिक हमले में आम नागरिक भी मारे गए

हम आपको सीरिया में हुई AirStrike के बाद का वीडियो दिखाना चाहते हैं, जिससे यहां हुए नुकसान का अंदाजा आपको हो जायेगा . इस वीडियो में आपको दो Building दिखाई देंगी. एक Building ईरान के दूतावास की है जबकि दूसरी ईरान के वाणिज्य दूतावास की, जो अब जमींदोज हो चुकी है. इसी इमरात को निशाना बनाकर हवाई हमला किया गया था.

मारे गए ईरान के 2 टॉप आर्मी कमांडर

हवाई हमले में ईरान के राजदूत बच गए, लेकिन ईरान को सबसे बड़ा नुकसान अपने दो टॉप कमांडर को गंवाने से हुआ है. मारे गए दोनों टॉप कमांडर ईरान की Kuds Force से जुड़े थे. इनमें ईरान के टॉप सीनियर कमांडर मोहम्मद रजा जाहेदी शामिल हैं. जाहेदी वर्ष 2015 तक इराक-सीरिया में कुद्स फोर्स के प्रमुख थे. मोहम्मद रजा जाहेदी को गुरिल्ला युद्ध में माहिर माना जाता था. जाहेदी वर्ष 1979 (उन्नीस सौ उन्यासी) में क्राति के बाद Islamic Revolutionary Guard Corps में आए थे. इसके अलावा मरने वालों में डिप्टी कमांडर मोहम्मद हज रहीमी शामिल हैं. 

अपने दो टॉप कमांडर और पांच अधिकारियों की मौत से ईरान भड़का हुआ है, ईरान की तरफ से AirStrike का आरोप इजरायल पर लगाया गया है, और इस हमले का भयानक बदला लेने का ऐलान किया गया है. ईरान का गुस्सा सातवें आसमान पर है, अगर अपने दो टॉप कमांडर की मौत का बदला लेने के लिए ईरान इजरायल पर हमला कर देता है. तो इसमें शक नहीं कि दुनिया में युद्ध का तीसरा मोर्चा खुल सकता है. क्योंकि, इस समय रूस और यूक्रेन युद्ध के पहले मोर्चे पर पिछले दो साल से लड़ रहे हैं. जबकि बीते 6 महीने से इजरायल और हमास आमने-सामने हैं.

हमले के बाद मौन साध गया इजरायल

ऐसे में ईरान का हवाई हमले का आरोप इजरायल पर लगाना और बदले की बात करना, इस लिहाज से बहुत मायने रखता है. लेकिन इजरायल ने ना हमले की जिम्मेदारी ली है. ना ही इस हमले को लेकर किसी तरह की सफाई दी है. हालांकि, 7 अक्टूबर 2023 के बाद से ईरान और इजरायल के बीच जिस तरह से दुश्मनी बढ़ी है. उसे देखते हुए यही माना जा रहा है कि हमला इजरायल ने ही किया हो. ऐसा इसलिए कि ईरान Gaza, Lebnon और सीरिया में इजरायल के खिलाफ लड़ने वाले आतंकी संगठनों को समर्थन दे रहा है.

पिछले कुछ महीनों में इजरायल ने सीरिया में कई हमले किये हैं. इन हमलों के पीछे इजरायल का तर्क ये था, कि इजरायल सीरिया में ईरान समर्थित आतंकी समूहों को निशाना बनाता है. क्योंकि, सीरिया में सक्रिय ईरान समर्थित आतंकी संगठन इजरायल पर हमलों को अंजाम देते हैं. शायद यही वजह है कि ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमले के बाद लेबनान में सक्रिय आतंकी संगठन हिजबुल्लाह भी भड़क गया है. इस आतंकी संगठन ने इजरायल से बदला लेने की धमकी दी है. आपको बता दें कि जबसे इजरायल ने गाजा में हमास आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, तभी से हिजबुल्लाह इजरायल को निशाना बनाकर हमले कर रहा है.

अपने अफसरों को भी नहीं बचा पा रहा ईरान

सीरिया के दमिश्क में हुए हवाई हमले के बाद सीरिया के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वो सड़को पर आ गए हैं. वे अमेरिका और इजरायल के झंडों को आग लगा रहे हैं. प्रदर्शनकारी इस हमले के बाद बदला लेने के लिए नारेबाजी कर रहे हैं. इनका कहना है कि हमला सिर्फ ईरान के वाणिज्य दूतावास पर नहीं हुआ है बल्कि उनके देश पर हुआ है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

ईरान के 2 टॉप कमांडर और 5 अधिकारियों का टारगेट करके मारा जाना, ईरान के लिए चिंता की बात है. ईरान ने इस हमले और अपने कमांडर्स की मौत का बदला लेने की बात तो कही है. लेकिन आज से करीब चार साल पहले अपने जनरल कासिम सुलेमानी की मौत का बदला आजतक नहीं ले सका है. पिछले कुछ वर्षों में ईरान के आर्मी अफसरों को टारगेट करके ख़त्म किया गया है. बड़ी बात ये कि इन अफसरों को दूसरे देशों में भी निशाना बनाया गया. लेकिन ईरान ना अपने आर्मी अफसरों को बचा पा रहा है, ना ही उनकी मौत का बदला लेने में कामयाब हो रहा है. जबकि इजरायल अपने दुश्मनों को चुन-चुन कर ख़त्म कर रहा है.

चुन-चुनकर दुश्मनों को ठिकाने लगा रहा इजरायल

दिसंबर 2023 में Iran Revolutionary Guard के एडवाइजर राजी मोसावी को सीरिया की राजधानी दमिश्क में मारा गया था. इजरायल ने मोसावी को खत्म करने की कोशिश इससे पहले कई बार की थी. क्योंकि, हिजबुल्लाह को खड़ा करने के पीछे राजी मोसावी को ही माना जाता है. जनवरी 2020 में कासिम सुलेमानी बगदाद में Missile Attack में मारा गया था, Drone से Missile हमला अमेरिका ने किया था. 

ऐसा माना जाता है कि सुलेमानी के बगदाद में होने की Secret Information इजरायल की खुफिया एजेंसी Mossad ने मुहैया कराई थी. जनवरी 2024 में इजरायल ने हमास के कमांडर सालेह अल अरौरी को Lebnon के बेरूत में मार गिराया था, अरौरी हिजबुल्लाह के जरिये इजरायल पर हमले कराता था. 

इजरायल दावा करता है कि वो उन संगठनों को निशाना बना रहा है, जो उसके लिए खतरा पैदा करते हैं. दूसरी तरफ ना सिर्फ विदेशों में ईरानी अफसरों की जान जा रही है, बल्कि देश में भी ईरान पर हमले हो रहे हैं. इसी वर्ष जनवरी में ईरान के Kerman शहर में कब्रिस्तान के पास दो बम धमाके हुए थे. जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.

ईरान में हो रहे जगह-जगह धमाके

सूटकेस में रखे विस्फोटक से धमाके उस समय किये गये, जब कासिम सुलेमानी की चौथी बरसी पर हज़ारों लोग जुटे थे. इस हमले को लेकर भी ईरान ने इजरायल पर आरोप लगाए थे. तब भी दावा किया था कि ईरान इस हमले का बदला लेगा. हालांकि, इससे पहले भी ईरान पर कई हमले हुए थे.

27 अक्टूबर 2022 को ईरान के शिराज में मस्जिद में आतंकियों ने गोलीबारी की, इस आतंकी हमले में 15 लोगों को मौत हुई थी. हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन ISIS ने ली थी. 7 जून 2017 को ईरान की राजधानी तेहरान में दो जगह आतंकी हमले हुए, इस हमले में 17 नागरिकों की मौत हुई.
15 जुलाई 2010 को ईरान के जाहेदान में दो आत्मघाती धमाके हुए. इस हमले में 27 लोगों की जान गई थी.

अब सीरिया में हुए ताजा हमले में ईरान के सात अधिकारी मारे गए हैं, जो ईरान के लिए बड़ा नुकसान है. ऐसे में अगर ईरान कार्रवाई करते हुए इजरायल पर हमला करता है, तो दोनों देशों के बीच दुश्मनी अगले चरण में पहुंच जायेगी. इस स्थिति में पहले से मुश्किलों में घिरे ईरान के लिए आगे का रास्ता कहीं ज्यादा मुश्किल होगा.

अरब देशों से भी ईरान के रिश्ते बिगड़े

अब सवाल ये कि क्या ईरान को इजरायल के साथ दुश्मनी की कीमत चुकानी पड़ रही है, या फिर ईरान से कई और देशों को भी दिक्कत है. दरअसल, हमास के खिलाफ इजरायल ने युद्ध शुरू किया, तो ईरान हमास के समर्थन में खुलकर आ गया. यहां से दोनों देशों के बीच रिश्ते ज्यादा खराब हो गए.

लेकिन अमेरिका और अरब देशों के साथ भी ईरान के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे. ईरान के एटमी प्रोग्राम ने अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों की चिंता बढ़ा रखी है. ईरान, अमेरिका की आपत्तियों को दरकिनार कर अपना Nuclear Program आगे बढ़ा रहा है. अमेरिका को लगता है कि अगर ईरान ने एटमी ताकत हासिल कर ली, तो अरब देशों के साथ उसके हितों को बड़ा नुकसान होगा. क्योंकि, अमेरिका के अरब देशों और इजरायल के साथ करीबी रिश्ते हैं. और कई देशों में अमेरिका के Military Base भी हैं. 

अरब देशों को भी ईरान से दिक्कतें हैं. दरअसल ईरान शिया बहुल देश है जबकि ज्यादातर अरब देश सुन्नी बहुल हैं. अरब देश सुरक्षा और हथियारों के लिए 80 फीसदी तक अमेरिका पर निर्भर हैं. अरब देशों को आशंका है, कि ईरान एटमी ताकत हासिल कर लेता है तो उसका इस्तेमाल उनके खिलाफ कर सकता है. इसलिए अरब देश अमेरिका के भरोसे हैं. जो ईरान को एटमी ताकत हासिल करने से रोकना चाहते हैं.

ईरान के पास खत्म होते जा रहे विकल्प

इस समय ईरान और इजरायल के रिश्ते करीब-करीब खत्म हो चुके हैं. इसकी वजह इजरायल का अमेरिका और अरब देशों के करीब आना है. दरअसल, अरब देशों के लिए पहले ईरान की तरह इजरायल भी दुश्मन देश था.

लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बहरीन और UAE के बाद सऊदी अरब, इजरायल के करीब आ रहा है. इसकी वजह अरब देशों का पेट्रो डॉलर है, यानी वो पैसा जो कच्चे तेल के बदले अरब देशों को भेजा गया. दरअसल, पेट्रो डॉलर कोई विशेष मुद्रा नहीं है, बल्कि वो अमेरिकी डॉलर हैं जिन्हें कच्चे तेल के Import के बदले दिया जाता है. इससे अरब देश आर्थिक तौर पर मजबूत हुए. दूसरी तरफ इजरायल के पास मजूबूत Technology और Military Power है. यानी दोनों की ताकत मिलकर ईरान को रोकने में लगी हैं.

इन सबसे अलग ईरान का आतंकी संगठनों को खुला समर्थन देना इजरायल और अमेरिका को मंजूर नहीं है. ईरान हमास को ना सिर्फ आर्थिक मदद दे रहा है बल्कि इजरायल में हमास के हमले का समर्थन भी करता है. जिस समय आतंकवादी संगठन दुनिया के लिए समस्या बने हुए हैं, उस स्थिति में ईरान का हमास, हिजबुल्लाह जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन देना दुनिया कैसे स्वीकार कर सकती है.

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