इस महीने की शुरुआत में मुगाबे ने उपराष्ट्रपति एमर्सन मननगाग्वा को बर्खास्त कर दिया था, जिसके बाद वह जिम्बाब्वे छोड़कर चले गए थे.
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हरारे: जिम्बाब्वे के अपदस्थ उपराष्ट्रपति एमर्सन मननगाग्वा ने मंगलवार (21 नवंबर) को राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे से कहा कि लोगों की भावनाओं का सम्मान करें और पद से हट जाएं. उन्होंने कहा कि वह तभी घर वापसी करेंगे जब उनकी सुरक्षा का आश्वासन मिलेगा. मननगाग्वा ने बयान जारी कर कहा, ‘‘जिम्बाब्वे के लोगों ने एक सुर में कहा है और राष्ट्रपति मुगाबे से मेरी भी अपील है कि वह जिम्बाब्वे के लोगों की अपील पर ध्यान दें और इस्तीफा दे दें ताकि देश आगे बढ़ सके और उनकी विरासत को संभाल सके.’’ इस महीने की शुरुआत में मुगाबे ने मननगाग्वा को बर्खास्त कर दिया था, जिसके बाद वह जिम्बाब्वे छोड़कर चले गए थे.
मननगाग्वा ने बताया कि स्वदेश लौटने के मुगाबे के आमंत्रण को उन्होंने ठुकरा दिया, जिन्होंने वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा के लिए उन्हें आमंत्रित किया. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने राष्ट्रपति से कहा कि मैं तब तक स्वदेश नहीं लौटूंगा जब तक अपनी निजी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं हो जाता क्योंकि जिस तरीके से मुझे पद से हटाया गया और मेरे साथ व्यवहार हुआ, वह चिंता का विषय है.’’ शुरू में माना जाता था कि मननगाग्वा दक्षिण अफ्रीका में हैं.
इससे पहले जिम्बाब्वे के लंबे समय से राष्ट्रपति रहे रॉबर्ट मुगाबे ने पद से इस्तीफा देने के लिए तय की गई समय सीमा सोमवार (20 नवंबर) को पार कर ली. अब उन्हें महाभियोग की कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, एक राष्ट्रीय संबोधन के दौरान उनकी इस्तीफे की पेशकश नहीं किए जाने से जिम्बाब्वे के नागरिक हैरान हैं. उनके इस रुख से और अधिक प्रदर्शन होने की उम्मीद है. एक अखबार के शीर्षक में कहा गया है, ‘‘अहंकारी मुगाबे ने जेडएएनयू - पीएफ का निरादर किया.’’ विपक्षी कार्यकर्ताओं और पूर्व सैनिकों के संगठन ने 93 वर्षीय मुगाबे पर पद छोड़ने का दबाव बनाने के लिए और अधिक प्रदर्शन करने की घोषणा की है. वह 37 साल से देश की सत्ता की बागडोर संभाल रहे हैं.
पूर्व सैनिकों के संगठन के नेता क्रिस मुत्सवांगवा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आपका समय खत्म हो गया है. पद छोड़ने की फौरन घोषणा कर आपको देश को और अधिक संकट से बचाने की गरिमा और शालीनता दिखानी चाहिए.’’ उन्होंने यह भी कहा कि सेना ने कुछ दिन पहले मुगाबे को नजरबंद किया, लेकिन फिर भी वह उनका संरक्षण करने के लिए मजबूर हो गई क्योंकि मुगाबे आधिकारिक रूप से उनके ‘कमांडर इन चीफ’ हैं. मुत्सवांगवा ने कहा कि पूर्व सैनिकों का संगठन अदालत जा कर दलील देगा कि मुगाबे ने अपने कार्यकारी कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया.