राष्ट्रपति चुनाव: SC ने उम्मीदवार के नामांकन खारिज होने के मामले में हस्तक्षेप से किया इनकार

डॉ. मांडती थिरुपति रेड्डी ने अपने नामांकन रद्द करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौ​ती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने थिरुपति रेड्डी के नामांकन खारिज होने के मामले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.

Written by - Nizam Kantaliya | Last Updated : Jun 29, 2022, 10:49 PM IST
  • राष्ट्रपति चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
  • कौन कर सकता है नामांकन दाखिल?
राष्ट्रपति चुनाव: SC ने उम्मीदवार के नामांकन खारिज होने के मामले में हस्तक्षेप से किया इनकार

नई दिल्ली: देश के अगले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही राष्ट्रपति पद के लिए अब तक कुल 56 उम्मीदवार पर्चा भर चुके हैं. एनडीए की ओर से उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की ओर से उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का भी नामांकन दाखिल हो चुका है.

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

राष्ट्रपति के लिए आवेदन करने वालों में से कई आवेदकों को नामांकन रद्द हुए हैं. इसी में से एक डॉ. मांडती थिरुपति रेड्डी ने अपने नामांकन रद्द करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौ​ती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने थिरुपति रेड्डी के नामांकन खारिज होने के मामले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालिन बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले में अदालत द्वारा हस्तक्षेप करने का कोई मामला नहीं बनता है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का नामांकन पत्र राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 की धारा 5बी(1) (ए) के तहत आवश्यक  परिकल्पित आवश्यकताओं का अनुपालन नहीं करता है.

मुझे है संविधान की गहरी समझ

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में कहा गया कि वह एक अधिवक्ता हैं और उसके पास नामांकन दाखिल करने के लिए जरूरी पात्रता होने के साथ साथ उसे संविधान की गहरी समझ है, जो कि राष्ट्रपति के प्रतिष्ठित पद के लिए अतिआवश्यक है. याचिकाकर्ता अपनी योग्यता की जानकारी देते हुए अदालत को बताया कि उसके पास तीन अंतरराष्ट्रीय मानद डॉक्टरेट की उपाधि है और उसने संवैधानिक कानून: नई चुनौतियां विषय पर अपने एलएलएम पेपर में 72 अंक हासिल किए हैं.

याचिकाकर्ता रेड्डी ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनके नामांकन को स्वीकार करने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी. रेड्डी के नामांकन को संसद के सेक्रेटरी जनरल और रिटर्निंग ऑफिसर ने खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी राष्ट्रपति चुनाव के रिटर्निंग अधिकारी द्वारा याचिकाकर्ता के नामांकन को लेकर लिये गये फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

कौन कर सकता है नामांकन दाखिल

देश के राष्ट्रपति के लिए होने वाले चुनाव में कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है. लेकिन इस पद के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा करना आसान नहीं है.

आर्टिकल 58 के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव देश का हर वो नागरिक चुनाव लड़ सकता है जिसकी उम्र 35 साल से ज्यादा हो और वह लोकसभा का सदस्य होने के लिए पात्र हो. इसके साथ ही केन्द्र सरकार या देश के किसी राज्य की सरकार के अधीन या उक्त किसी भी सरकार नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए.

आसान नहीं है नॉमिनेशन फॉर्म-2

राष्ट्रपति के पद के लिए होने वाले नामांकन के लिए चुनाव तो कोई भी लड़ सकता है. लेकिन नामांकन भरने के लिए जिस नॉमिनेशन फॉर्म-2 को भरा जाना आवश्यक है, उसकी शर्तों को पूरा करना काफी मुश्किल है.

इस प्रक्रिया में ऐसा फॉर्म होता है, जिसे हर कोई नहीं भर पाता है और इस वजह से राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ पाता है. फॉर्म-2 में चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार को कम से कम 50 निर्वाचकों यानी विधायक या सांसदों का समर्थन होना आवश्यक है.

राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए निर्वाचकों का प्रस्तावकों या अनुमोदकों के रूप में समर्थन चाहिए. इसके बाद इसे प्रस्तावक को नियुक्त रिटर्निंग अधिकारी को जमा करना होगा. चुनाव लड़ने के लिए 15000 रुपये की जमानत राशि भी देनी होती है. राष्ट्रपति चुनाव में एक निर्वाचक सिर्फ एक ही अभ्यर्थी के नाम का प्रस्ताव दे सकता है. एक निर्वाचक कई उम्मीदवारों का अनुमोदन नहीं कर सकता.

नामांकन भरने वाले चर्चा में

देश के सर्वोच्च नागरिक यानी की राष्ट्रपति के पद के लिए नामांकन दाखिल अपने आप में एक बड़ा सम्मान है. कई लोग लगातार इस पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करते रहे हैं. अब तक इस पद किये गये नामांकन में यूं तो द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा की ही चर्चा है. लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे नाम हैं जो नामांकन दाखिल कर चर्चा में आए हैं.

लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवा चुके पद्मराजन ने भी राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया है. देश में चुनाव हारने का ​रिकॉर्ड उनके नाम ही है. वे अब अबतक 231 बार चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन कभी नहीं जीते.

राम कुमार शुक्ला, अशोक कुमार ढींगरा, दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर शंकर अग्रवाल के साथ ही सूरज प्रकाश भी मैदान में हैं. सूरजप्रकाश एक्सीडेंट में घायल होने वाले लोगों की काफी मदद करते हैं जिसके लिए लोग उनका सम्मान भी करते हैं.

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