देशवासियों से PM मोदी ने मांगी माफी, जानिए वजह

लॉकडाउन के पांचवें दिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से अपने मन की बात कही. देश को अपने संबोधन में पीएम मोदी ने लॉकडाउन की मजबूरी का जिक्र किया और देश से माफी भी मांगी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 29, 2020, 04:15 PM IST
    1. पीएम मोदी ने देशवासियों से मांगी माफी
    2. कोरोना वॉरियर्स को पीएम मोदी का सलाम
    3. कोरोना को हराने वाले मरीजों से पीएम ने की बात
देशवासियों से PM मोदी ने मांगी माफी, जानिए वजह

नई दिल्ली: पीएम मोदी ने भी देशवासियों से लक्ष्मण रेखा नहीं लांघें की अपील की है. पीएम ने आज मन की बात में लोगों से एक बार फिर घर में रहने को कहा और देशवासियों से कड़े फैसले की वजह हो रही मुश्किल पर माफी मांगी. पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए लॉकडाउन ही एकमात्र रास्ता है.

पीएम मोदी ने देशवासियों से मांगी माफी

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि "आज हर भारतीय अपने जीवन की रक्षा के लिए घर में बंद है. लेकिन आने वाले समय में यही हिंदुस्तानी अपने देश के विकास के लिए सारी दीवारों को तोड़कर आगे निकलेगा, देश को आगे ले जाएगा. आप अपने परिवार के साथ घर पर रहिए, सुरक्षित और सावधान रहिए. हमें ये जंग जीतना है, जरूर जीतेंगे."

कोरोना वॉरियर्स को पीएम मोदी का सलाम

देश में सकैड़ों-हजारों लोग कोरोना से जंग में जुटे हैं. ये कोरोना वॉरियर्स हैं और इनमें डॉक्टर्स भी शामिल हैं. पीएम मोदी ने उनसे बात की. उनका अनुभव देश के साथ साझा किया और देश को इस वायरस से लड़ाई के लिए जागरुक भी किया.

उन्होंने कहा कि "गरीबों के प्रति हमारी संवेदनाएं और अधिक तीव्र होनी चाहिए. हमारी मानवता का वास इस बात में है कि कही पर भी कोई गरीब दुखी, भूखा नजर आता है तो इस संकट की घड़ी में हम पहले उसका पेट भरेंगे. ये हिंदुस्तान कर सकता है, ये हमारे संस्कार और संस्कृति है."

कोरोना को हराने वाले मरीजों से पीएम ने की बात

पीएम मोदी ने उन मरीजों से भी बात की जिन्होंने कोरोना वायरस को हराया है. जो संक्रमित होने के बाद अब ठीक हो चुके हैं. उनसे बात कर पीएम मोदी ने देश को हौसला दिया कि वक्त चाहे मुश्किल सही लेकिन हमारी जीत पक्की है.

PM ने कहा, "कोरोना वायरस से लड़ने का सबसे कारगर तरीका सोशल डिस्टेंसिंग है, लेकिन हमें ये समझना होगा कि सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब सोशल इंटरैक्शन को खत्म करना नहीं है. वास्तव में ये समय अपने सभी पुराने सामाजिक रिश्तों में नई जान फूंकने का है, रिश्तों को तरो-ताजा करने का है."

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साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि "हमारे यहां कहा गया है- 'एवं एवं विकार, अपी तरुन्हा साध्यते सुखं' यानी बीमारी और उसके प्रकोप में शुरुआत में ही निबटना चाहिए. बाद में रोग असाध्य हो जाते हैं, तब इलाज भी मुश्किल हो जाता है. आज पूरा हिन्दुस्तान, हर हिन्दुस्तानी यही कर रहा है."

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