शाहीन बाग के लिए 'योगी फॉर्मूला' ही बेहतर

शाहीन बाग का हल अब तक नहीं निकल पाया है. वहां पिछले दो महीने से ज्यादा से सड़कों पर प्रदर्शनकारी जमे हुए हैं. इससे दिल्ली एनसीआर के लाखों लोगों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के लिए 'योगी फॉर्मूला' ही बेहतर है.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Feb 20, 2020, 08:27 PM IST
    1. अड़े हुए हैं 'शाहीन बाग' के प्रदर्शनकारी
    2. वार्ताकारों की बात समझने को नहीं तैयार
    3. बेहतर साबित हो सकता है 'योगी फॉर्मूला'
    4. प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकारों से दी ये दलीलें
शाहीन बाग के लिए 'योगी फॉर्मूला' ही बेहतर

नई दिल्ली: शाहीन बाग में 2 महीने से ज्यादा वक्त से हो रहे प्रदर्शन की वजह से बंद सड़क को खुलवाने की कोशिश कामयाब होती नहीं दिख रही हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त दो वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन गुरुवार को लगातार दूसरे दिन शाहीन बाग पहुंचे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

अड़े हुए हैं 'शाहीन बाग' के प्रदर्शनकारी

सुप्रीम कोर्ट के जरीए नियुक्त किए गए वार्ताकार वकील संजय हेगड़े और साधना रामाचंद्रन शाहीन बाग में पिछले 68 दिनों से प्रदर्शन करे रहे लोगों से सड़क खोलने के मसले पर फिर मिले. लेकिन लोगों ने फिर बार साफ कर दिया कि जब तक सरकार नागरिकता कानून वापस नहीं लेते तब तक वो नहीं हटेंगे.

कैसे बेहतर साबित हो सकता है 'योगी फॉर्मूला'?

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सबसे बड़ी हिंसा की तस्वीरें योगी के राज्य उत्तर प्रदेश से आई थी. हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़ और पुलिस पर पथराव का नजारा भी यूपी की राजधानी के साथ-साथ कई अलग अलग जगह से देखने को मिला था. लेकिन योगी सरकार ने जैसे इन दंगाइयों को काबू में किया और उनपर शिकंजा कसा वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है. योगी ने अलग-अलग जगहों पर हो रहे विरोध प्रदर्शन को तूल नहीं पकड़ने दिया. ऐसे में शाहीन बाग के लिए भी कुछ ऐसी ही रणनीति अपनानी पड़ेगी.

वार्ताकारों ने शाहीन बाग से कहा कि कोई ऐसी समस्या नहीं होती जिसका हल नहीं होता. अगर हम चाहते हैं कि हम देश को दिखा दें कि हम अच्छे नागरिक हैं, सच्चे नागरिक हैं. इसका हल निकले, शाहीन बाग बरकरार रखते हुए हल निकले तो इससे अच्छी बात नहीं होगी.

प्रदर्शनकारियों ने दे दी ये दलीलें

बातचीत के के दूसरे दिन वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को सुझाव दिया कि कुछ ऐसा रास्ता निकालें जिससे शाहीन बाग में ही प्रदर्शन भी चलता रहे और रास्ता भी खुल जाए. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने एक सुर में वार्ताकारों को सड़क खाली करने से मना कर दिया.

बातचीत के बाद संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन प्रदर्शनकारियों और पुलिस के साथ बंद सड़कों का मुआयना करने भी गए. लेकिन जाते-जाते साधना रामचंद्रन ये जरूर कह गईं कि सबसे बात करना मुश्किल है अगर एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर बात हो तो बेहतर होगा.

वार्ताकारों की कोशिश अब ये है कि 10-15 महिलाओं के समूह से अलग से बातचीत की जाए. वहीं शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये धरना नहीं आंदोलन है और एंबुलेंस और बच्चों की गाड़ियों को निकलने की जगह दी जाती है.

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सवाल यही है कि धरने के नाम पर लोगों को क्यों परेशान किया जा रहा है. क्या वार्ताकारों के पहुंचने और फिर लौटने से गलत संदेश नहीं जा रहा है. क्या भविष्य में और शाहीन बाग को बढ़ाना नहीं मिल रहा है?

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