'पाकिस्तान के पास नहीं है नीरज को हराने वाला भाला' कहने वाले अरशद ने तोड़ दिया उनका रिकॉर्ड

25 साल के अरशद नदीम पाकिस्तान के पहले ऐसे जैवलीन थ्रोअर हैं, जिन्होंने ओलंपिक के फाइनल में जगह बनाई थी. हालांकि तब उन्हें निराशा हाथ लगी थी और कोई भी मेडल उनके हिस्से नहीं आया था. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 9, 2022, 05:51 PM IST
  • चर्चा में आया अरशद का पुराना बयान
  • सरकारी नौकरी के चक्कर में हुआ खेलों से लगाव
'पाकिस्तान के पास नहीं है नीरज को हराने वाला भाला' कहने वाले अरशद ने तोड़ दिया उनका रिकॉर्ड

नई दिल्ली: बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले पाकिस्तानी भाला फेंक एथलीट अरशद नदीम ने रिकॉर्ड बना दिया. उन्होंने गोल्ड मेडल तो जीता ही लेकिन साथ ही नीरज चोपड़ा का स्पेशल रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. अरशद ने बर्मिंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में 90.18 मीटर के थ्रो में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. 

कभी 90 मीटर तक नहीं पहुंच सके नीरज चोपड़ा

अरशद नदीम के लिए यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा अब तक 90 मीटर तक जैवलिन नहीं फेंक पाए हैं. अरशद भाला फेंक में 90 मीटर के मार्क को क्रॉस करने वाले पहले एशियाई खिलाड़ी भी बन गये. 

चर्चा में आया अरशद का पुराना बयान

पिछले महीने कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू होने से पहले अरशद नदीम ने कहा था कि पाकिस्तान में ऐसा भाला ही नहीं है, जो इंटरनेशनल लेवल पर फिट बैठता हो और नीरज को हरा सके. साथ ही वह नीरज से तुलना करने पर बोले कि मैं किसी के साथ अपनी तुलना नहीं करता. मैं अपना बेहतर से बेहतर देने की कोशिश करता हूं. जब उन्होंने ये बयान दिया था तब तक नीरज चोपड़ा चोटिल नहीं हुए थे और अरशद का प्रबल विरोधी नीरज को ही माना जा रहा था. 

टोक्यो ओलंपिक-2020 के बाद यह अरशद नदीम का पहला बड़ा इवेंट था, जिसमें उन्होंने हिस्सा लिया. वहीं, नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक के बाद से अब तक तीन बड़े इवेंट में हिस्सा ले चुके हैं. 25 साल के अरशद नदीम पाकिस्तान के पहले ऐसे जैवलीन थ्रोअर हैं, जिन्होंने ओलंपिक के फाइनल में जगह बनाई थी. हालांकि तब उन्हें निराशा हाथ लगी थी और कोई भी मेडल उनके हिस्से नहीं आया था. 

सरकारी नौकरी के चक्कर में हुआ खेलों से लगाव

एक इंटरव्यू में अरशद के पिता ने बताया था कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मियां चन्नू इलाके में वे मजदूरी किया करते थे. बचपन में नदीम अपने पिता के साथ एक खेल देखने जाते थे. ये पाकिस्तान का मशहूर खेल नेजाबाजी था. इस खेल में एक साथ कई खिलाड़ी घुड़सवार हाथ में किसी लंबी सी स्टिक से जमीन पर रखे एक निशान को उठाते हैं.

नदीम को ये खेल इतना पसंद आया कि वो रोजाना इस स्टिक के साथ ट्रेनिंग करने लगे. यहीं से उनकी जेवलिन की तरफ रुच बढ़ी. एक समय उन पर सरकारी नौकरी का जोश सवार था. अरशद ने सरकारी नौकरी मिलने की उम्मीद में खेलों की तरफ रख किया. पाकिस्तान सरकार खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देती है. 

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