नई दिल्ली: CWG 2022: कॉमनवेल्थ गेम्स में कई ऐसे एथलीट्स हैं जो छुपा रुस्तम साबित हुए. गुमनाम होकर मेहनत करने वाले ऐसे तमाम खिलाड़ी हैं जिन्होंने बर्मिंघम में अपने नाम का परचम लहराया.
कॉमनवेल्थ गेम्स से निशानेबाजी को बाहर किए जाने के कारण भारत पर बर्मिंघम में शीर्ष पांच से बाहर रहने का खतरा मंडरा रहा था लेकिन वेटलिफ्टिंग, एथलेटिक्स और लॉन बॉल्स में सफलता के कारण भारत चौथा स्थान हासिल करने में सफल रहा.
बिना निशानेबाजी के भारत ने जीते 61 मेडल
गोल्ड कोस्ट में खेले गए पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के 66 पदकों में लगभग 25 प्रतिशत पदक निशानेबाजी में आए थे, इसलिए माना जा रहा था कि भारत बर्मिंघम में बमुश्किल 50 पदकों की संख्या को छू पायेगा लेकिन ट्रैक एवं फील्ड की स्पर्धाओं में अच्छे प्रदर्शन के कारण वह 61 पदक हासिल करने में कामयाब रहा.
भारत ने ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धाओं में आठ पदक जीते जो कि इन खेलों में विदेशों में उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. यह वास्तव में बर्मिंघम खेलों में भारत की बड़ी सफलता है. एल्डोस पॉल और अब्दुल्ला अबूबकर पुरुषों की त्रिकूद में पहले दो स्थान हासिल किए.
अविनाश साबले और एल्डोस पॉल उभरते हुए सितारे
अनु रानी ने भी भाला फेंक में कांस्य पदक जीतकर नया इतिहास रचा. वह इस स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी. प्रियंका गोस्वामी और संदीप कुमार ने 10000 मीटर पैदल चाल में पदक हासिल किए. विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता अंजू बॉबी जॉर्ज ने खेलों से पहले एथलेटिक्स में सात पदकों की भविष्यवाणी की थी लेकिन भारत नीरज चोपड़ा की अनुपस्थिति के बावजूद आठ पदक जीतने में सफल रहा. चोपड़ा चोटिल होने के कारण इन खेलों में भाग नहीं ले पाए थे.
भारत ने लॉन बॉल्स में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा. अविनाश साबले ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में रजत पदक जबकि तेजस्विन शंकर ने ऊंची कूद में कांस्य पदक हासिल किया. ऊंची कूद में पहली बार भारत को पदक मिला. मुरली श्रीशंकर ने भी लंबी कूद में रजत पदक जीता जो इस स्पर्धा में 1978 के बाद भारत का पहला पदक है.
लक्ष्य सेन और जेमिमी लालरिनुंगा बन गए भारतीय बैडमिंटन का भविष्य
युवा लक्ष्य सेन ने भी स्वर्ण पदक जीता जिससे भारत एकल में क्लीन स्वीप करने में सफल रहा. मुक्केबाजी में नीतू ने महिलाओं के 48 किग्रा और अमित पंघाल ने पुरुषों के 51 किग्रा में स्वर्ण पदक जीते. इन सफलताओं के बीच कुछ असफलताएं भी देखने को मिली. वेटलिफ्टर जेमिमी लालरिनुंगा ने गोल्ड मेडल जीतकर सबको अपना दीवाना बना दिया. लालरिनुंगा 19 साल के हैं और उन्हें भारतीय वेटलिफ्टिंग को भविष्य कहा जा रहा है.
नवनीत सिंह, चंदन कुमार सिंह, सुनील बहादुर और दिनेश कुमार अब उम्मीद कर रहे हैं कि यह पदक उनके जीवन को बदल देगा. भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में कुश्ती में अपना दबदबा फिर से बरकरार रखा. उसने सभी 12 भार वर्गों में पदक जीते जिसमें छह स्वर्ण पदक भी शामिल है. ओलंपिक पदक विजेता रवि दहिया और बजरंग पूनिया के लिए स्वर्ण पदक जीतना आसान रहा जबकि साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने भी खराब दौर से उबर कर शानदार वापसी की.
भारत में जूडो में तीन पदक जीते जिसमें दिल्ली की रहने वाली तूलिका मान का रजत पदक शामिल है. भारत ने कुश्ती के बाद टेबल टेनिस में सर्वाधिक चार स्वर्ण पदक जीते. अचिंता शरत कमल ने 40 साल की उम्र में तीन स्वर्ण पदक जीतकर राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में अपने कुल पदकों की संख्या रिकॉर्ड 13 पर पहुंचा दी है. परालंपिक खेलों की पदक विजेता भावना पटेल ने भी इस खेल में स्वर्ण पदक जीता. भारत को बैडमिंटन में तीन स्वर्ण पदक मिले. भारतीय सुपर स्टार पीवी सिंधू ने पहली बार इन खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया.
ये भी पढ़ें- 'देश आपका इंतजार कर रहा है', नीतीश को बधाई में उपेंद्र कुशवाहा का निशाना 2024!
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.