Agriculture News: आज के समय में खेती एक अच्छे सोर्स ऑफ इनकम के रूप में उभर रहा है. आपने ऐसे कई लोगों के बारे में सुना होगा जो पारंपरिक खेती की जगह आधुनिक तरीके अपना रहे हैं और अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के रहने वाले येरसी कोटी नागा रेड्डी ऐसे ही एक किसान हैं. वे पहले किराने की दुकान चलाते थे. अब 44 साल की उम्र में वे एक सफल किसान बन गए हैं. उन्हें दिल्ली में ‘बेस्ट प्रोगेसिव नैचुरल/ऑर्गेनिक राइस प्रोड्यूसिंग फार्मर-2023’ सम्मान से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान उन्हें चावल की खेती में पूरी तरह से ऑर्गेनिक फार्मिंग करने के लिए मिला है. 


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रेड्डी का जन्म पुलीपदु गांव के एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ. उनका परिवार खेती-बाड़ी करता था. खेती के प्रति उनका लगाव उनके पिता कोटि रेड्डी (65) से आया. हालांकि, पढ़ाई में रेड्डी को दिक्कतें आईं और वह 10वीं कक्षा पास नहीं कर सके. उन्होंने दरसी सरकारी कॉलेज में रेशम पालन का कोर्स भी पूरा नहीं कर पाए. इसके बाद उन्होंने बिजनेस करने का सोचा. पहले उन्होंने एक छोटी सी दुकान खोली और फिर धीरे-धीरे तरक्की करते हुए दरसी शहर में ‘श्री लक्ष्मी साई फैंसी एंड जनरल स्टोर्स’ खोला. 


शुरु की खेती 
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शादी के बाद अपने गांव में ही अपनी जमीन पर खेती शुरू की. शुरुआत में उन्होंने कई तरह की फसलें उगाईं, लेकिन फसल की बीमारी, कीड़े और प्राकृतिक आपदाओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे उन्हें कम मुनाफा हुआ या कभी-कभी घाटा भी उठाना पड़ा. उनके जीवन में असली बदलाव साल 2013-14 में आए सूखे के दौरान आया. उस समय रेड्डी को भी अन्य किसानों की तरह बारिश की कमी और पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा. उन्होंने अपनी धान की फसल को बचाने के लिए केमिकल पेस्टीसाइड्स रासायनिक कीटनाशकों और फर्टीलाइजर्स का इस्तेमाल किया और फसल बचाने में सफल रहे. 


ऑर्गेनिक फार्मिंग का बनाया मन
लेकिन इसके बाद एक चौंकाने वाली घटना हुई. रेड्डी से चावल खरीदने वाले एक व्यक्ति ने खाना बनाते समय तेज रासायनिक गंध महसूस की. इससे रेड्डी को अनाज में कृषि रसायनों के खतरे और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का एहसास हुआ. इस घटना के बाद रेड्डी ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया और ऑर्गेनिक फार्मिंग करने का मन बनाया. उन्होंने नैचुरल फार्मिंग के तरीकों के बारे में जानना शुरू किया. सुभाषालेकर की नैचुरल फार्मिंग तकनीकों को सीखा और एग्रीकल्चल साइंटिस्ट्स और कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) दरसी के रीसर्चर्स से सलाह ली. 2016 में रेड्डी ने अपनी 5 एकड़ जमीन पर धान की खेती के लिए पूरी तरह से नैचुलर फार्मिंग अपना ली. अगले पांच वर्षों में उन्होंने जमकर मेहनत की और लगातार मुनाफा कमाया.