Ploughing: अगर आप ट्रैक्टर से खेतों, खासकर कपास के खेतों की जुताई करते हैं, तो घास ठीक से नहीं उखड़ती है. इसलिए किसान मशीनों का सहारा लेते हैं. लेकिन, कुछ किसान अभी भी बैलों की मदद से जुताई कर रहे हैं.
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Kheti-Badi: पहले के जमाने में किसान खेत जोतने के लिए बैल या सांड का इस्तेमाल करते थे. लेकिन अब ट्रैक्टर आ गए हैं. ट्रैक्टर से खेत जल्दी तो जुत जाता है, लेकिन इससे ज़मीन खराब भी होती है. खेत के किनारे के पौधे दब जाते हैं और घास भी अच्छी तरह नहीं उखड़ती. अगर आप ट्रैक्टर से खेतों, खासकर कपास के खेतों की जुताई करते हैं, तो घास ठीक से नहीं उखड़ती है. इसलिए किसान मशीनों का सहारा लेते हैं. लेकिन, कुछ किसान अभी भी बैलों की मदद से जुताई कर रहे हैं.
तेलंगाना के कडापर्थी गांव गांव के रहने वाले शंकर रेड्डी नाम के किसान बैलों से खेतो की जुताई करते हैं. वे बैलों को 1,500 रुपये से 2,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से जुताई के लिए किराए पर भी देते हैं. वे एक दिन में लगभग चार एकड़ जमीन जोतते हैं और प्रति दिन 5,000 रुपये तक कमा सकते हैं.
ट्रैक्टर से किसान हो रहे आलसी
आज के समय में ऐसी कई मौजूद हैं, जो खेती करने में किसानों की मदद करती है. इनसे खेती करना ज्यादा सुविधाजनक हो गया है. News 18 कि रिपोर्ट के मुताबिकक शंकर रेड्डी बचपन से ही खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि मशीनों की मदद से खेती करना सुविधाजनक और आसान है, लेकिन इससे किसान आलसी हो गए हैं. जब किसान कपास के खेतों को ट्रैक्टर से जोतते हैं, तो पौधे नष्ट हो जाते हैं और उस खेत में घास भी नहीं उग पाती है.
एक दिन की कमाई
पहले के समय में खेत की जुताई के लिए बैलों या सांडों का इस्तेमाल किया जाता था. इससे फसल की पैदावार भी अच्छी होती थी और खरपतवार भी नहीं हटाए जाते थे. इससे मिट्टी को हवादार बनाने में भी मदद मिलती थी. वर्तमान समय में गांवों में किसान खेती के लिए बैलों का उपयोग करते रहते हैं. आमतौर पर, शंकर रेड्डी प्रतिदिन 5,000 रुपये से 6,000 रुपये के बीच कमाते हैं.
बैलों और सांडों से खेती करने से कपास और चावल जैसी फसलों की ज्यादा पैदावार होती है. इसके अलावा किसान तालाब की मिट्टी डालते थे जो मिट्टी में फसल उगाने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होती थी. नैचुरल फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल किया जाता था. इससे अच्छी क्वलिटी की फसलें पैदा होती थी, जो स्वास्थ के लिए भी फायदेमंद होती थी. वहीं, अब किसानों ने फर्टिलाइजर्स और पेस्टसाइड्स का यूज करना शुरू कर दिया है, जिससे फसलों की क्वालिटी पर असर पड़ा है. इससे लोगों के स्वास्थय पर भी बुरा असर पड़ता है. पहले जहां इंसानों की औसत उम्र 100 साल हुआ करती थी, वो अब घरकर काफी कम हो गई है.