पंजाब के इस किसान ने निकाला पराली का बेजोड़ उपाय, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से हर साल कर रहा 20 लाख की कमाई
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पंजाब के इस किसान ने निकाला पराली का बेजोड़ उपाय, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से हर साल कर रहा 20 लाख की कमाई

Stubble Burning: पंजाब, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में पराली जलाने से बहुत सारा धुआं होता है. इससे न सिर्फ खेती की जमीन खराब होती है बल्कि लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. इसने पंजाब के एक किसान को कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया. 

पंजाब के इस किसान ने निकाला पराली का बेजोड़ उपाय, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से हर साल कर रहा 20 लाख की कमाई

Organic Farming: पंजाब, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में पराली जलाने से बहुत सारा धुआं होता है. इससे न सिर्फ खेती की जमीन खराब होती है बल्कि लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. पंजाब के एक किसान गुरिंदर सिंह ने देखा कि कैसे पराली जलाने से फसल कम होने लगी और लोगों की सेहत खराब हुई. इसने उन्हें कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया. गुरिंदर सिंह पंजाब के संगरूर जिले के रहने वाले हैं. पिछले 30 साल से वो खेती करते आ रहे हैं. उनके पास 22 एकड़ जमीन है जिसमें से 17 एकड़ उनकी खुद की है और बाकी उन्होंने लीज पर ली है. इसमें वह धान, गेहूं और मक्का की खेती करते हैं.

पराली जलाने की जगह नया रास्ता
साल 2014 में गुरिंदर ने खेती करने का तरीका बदल दिया. उन्होंने पराली जलाना बंद कर दिया और उसकी जगह पराली को मिट्टी में मिला दिया. इसके लिए उन्होंने एक खास मशीन का इस्तेमाल किया. इस मशीन से पराली के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाते हैं जो मिट्टी में मिल जाते हैं. इससे मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है. गुरिंदर कहते हैं कि "इस तरीके से हम ऑर्गेनिक फार्मिंग की तरफ बढ़ रहे हैं. पराली से बनी खाद का इस्तेमाल हम दूसरी फसलों के लिए कर सकते हैं."

गांव वालों की मदद
कृषि जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक गुरिंदर ने अपने गांव के लोगों की मदद के लिए एक ग्रुप बनाया. सरकार की मदद से उन्होंने दो और मशीनें खरीदीं. ये मशीनें पराली के मैनेजमेंट में मदद करती हैं. वो कहते हैं कि "इन मशीनों से हम दूसरे किसानों की भी मदद करते हैं." गुरिंदर ने एक किसान संगठन भी ज्वाइन किया है. इस संगठन में लगभग 200 सदस्य हैं. गुरिंदर खेती में मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. उनके पास ऐसी मशीनें हैं जो खेती में बहुत मदद करती हैं.

साल में 20 लाख की कमाई
गुरिंदर पर्यावरण की भी देखभाल करते हैं. उनके भाई ने गांव में 2000 पेड़ लगवाए. उन्होंने गांव में सीवर सिस्टम भी बनवाया. गुरिंदर कहते हैं कि "पर्यावरण बहुत जरूरी है. हमें ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो." गुरिंदर सिंह की अच्छी खेती के लिए उन्हें कई सम्मान मिले हैं. उन्होंने चावल की नई खेती की भी ट्रेनिंग ली है जिसमें पानी की बचत होती है. गुरिंदर दूसरे किसानों को भी पानी बचाने की सलाह देते हैं और कहते हैं कि पराली जलाना बंद करना बहुत जरूरी है. गुरिंदर सिंह खेती के साथ-साथ डेयरी फार्मिंग भी करते हैं. उनके पास 7 भैंस हैं. इससे उन्हें और भी कमाई होती है. इस तरह वो साल में 20 लाख रुपये से ज्यादा कमा लेते हैं. 

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