Agriculture News: एमपी में खेड़ी गांव के किसान देवेंद्र दवंडे ने खेती में अद्भुत काम किया है. उन्होंने एक ही पौधे में पांच प्रकार की सब्जियां उगाई हैं. यह सब संभव हुआ टर्की बेरी (जंगली भटा) के पौधे की वजह से. देवेंद्र ने इसे तमिलनाडु से मंगवाया था. उन्होंने इस पौधे में ग्राफ्टिंग की तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे यह हुआ कि एक ही पौधे पर दो प्रकार के बैंगन और दो प्रकार के टमाटर उग आए. अब इस एक पौधे में तीन वेराइटी के बैंगन और दो वेराइटी के टमीटर फल रहे हैं. यह एमपी में खेती के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. देवेंद्र का यह प्रयास किसानों के लिए प्रेरणा बन सकता है. यह दर्शाता है कि किसान कम जगह में भी ज्यादा पैदावार कर सकते हैं.


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एमपी में किसान ने एक ही पेड़ पर उगाए 5 सब्जियां


तीन महीने पहले, देवेंद्र ने कृषि वैज्ञानिक से ग्राफ्टिंग की ट्रेनिंग ली. उन्होंने दो जंगली बैंगन के पौधे लगाए, एक घर पर और दूसरा पंचमुखी हनुमान मंदिर में. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट की मुताबिक, पंचमुखी हनुमान मंदिर में, उन्होंने जंगली बैंगन में हरे और काले बैंगन के पौधे की ग्राफ्टिंग की. इसके बाद उन्होंने हाईब्रिड और देसी टमाटर के पौधे की भी ग्राफ्टिंग की. यही वजह है कि अब इस खेती से बढ़िया रिजल्ट मिल रहे हैं. इस खेती के लिए देवेंद्र दवंडे ने एग्रीकल्चर साइंटिस्ट से ट्रेनिंग ली है. यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम लगन और मेहनत करें तो कुछ भी असंभव नहीं है.


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कृषि वैज्ञानिकों ने भी बताई नई तकनीक


कृषि वैज्ञानिक आरडी बारपेठे के अनुसार, ग्राफ्टिंग एक मान्य और प्रभावी तकनीक है. इस तकनीक में एक ही प्रजाति के पौधों को आपस में जोड़ा जाता है. उदाहरण के लिए: टमाटर, भिंडी, आलू, मिर्ची. ग्राफ्टिंग के बाद ये पौधे आसानी से पनपते हैं और फल देते हैं. यह तकनीक किसानों के लिए कई फायदे ला सकती है. 


कम जगह में ज्यादा पैदावार: एक ही पौधे में कई तरह की फलियां उगाई जा सकती हैं.
रोगों से बचाव: ग्राफ्टिंग रोगों से लड़ने वाले पौधों को कमजोर पौधों से जोड़कर उन्हें रोगों से बचाने में मदद करती है.
पानी और खाद की बचत: ग्राफ्टिंग से कम पानी और खाद की आवश्यकता होती है.


इस तकनीक का इस्तेमाल दुनिया भर के किसान करते हैं. यह तकनीक किसानों को अपनी आय बढ़ाने में मदद कर सकती है.