Farmers Success Story:देश में अन्य सेक्टर्स की तरह ही एग्रीकल्चर सेक्टर तेजी से ग्रो कर रहा है. इस सेक्टर को लेकर सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें युवा भी रुचि ले रहे हैं और नौकरी करने के बजाए खेती-बाड़ी को अपना करियर बना रहे हैं. आपने ऐसे कई लोगों के बारे में सुना होगा जो कॉर्पोरेट जॉब करने के बजाए खेती कर रहे हैं और अच्छी इनकम भी कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के उमरी गांव से ताल्लुक रखने वाले रितुराज सिंह ऐसे ही एक किसान हैं. उनका परिवार पहले से ही कृषि से ताल्लुक रखता था. इसी को देखते हुए उन्होंने भी खेती करने का मन बनाया. लेकिन, असली प्रेरणा उन्हें महामारी के दौरान लॉकडाउन में गांव में रहते हुए मिली. इसी दौरान उन्हें रासायनिक खाद से उपजे फलों और सब्जियों के नुकसान का अहसास हुआ और उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग करने का फैसला किया.


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आसान नहीं थी ऑर्गेनिक फार्मिंग


कृषि जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक पांच एकड़ जमीन को ऑर्गेनिक खेती के लिए तैयार करना आसान नहीं था. शुरुआत में इन ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को बेचना भी एक चुनौती थी. लेकिन रितुराज की लगन और मेहनत से उन्हें ऐसे ग्राहक और विक्रेताओं मिलने लगे जो उनके प्रोडक्ट खरीदने लगे. इसके बाद धीरे-धीरे उनके ब्रांड "उमरी ऑर्गेनिक ऑर्चर्ड" को बेहतरीन स्वाद और हेल्थ बेनिफिट्स के कारण ग्राहकों के बीच पहचान मिली. 


इन चीजों की करते हैं खेती 


रितुराज मुख्य रूप से गेहूं, धान, सरसों और गन्ने की पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती करते हैं. साथ ही वो इनको गुड़, चीनी, सरसों का तेल और कई तरह के फल और सब्जियों, जिनमें विदेशी ड्रैगन फ्रूट भी शामिल है, जैसे हाई-क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स में रिफाइन भी करते हैं. इन प्रोडक्ट्स से उन्हें सालाना 15 से 20 लाख रुपये तक का मुनाफा होता है. 


रितुराज की सफलता सिर्फ उनकी कमाई तक सीमित नहीं है. वे ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देते हैं और अन्य किसानों को रासायनिक खेती से हटकर ऑर्गेनिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं. उनका मानना है कि इससे न सिर्फ जमीन की उपज बढ़ती है बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होता है.