IT नौकरी का मोटा पैकेज छोड़ किसान बना शख्स, आज लाखो में कर रहा इनकम
Agriculture News: आज के समय में खेती-बाड़ी एक अच्छे सोर्स ऑफ इनकम के तौर पर देखा जा रहा है. यही वजह है कि देश की युवा पीढ़ी भी कृषि में रुचि ले रही है. आपने ऐसे कई लोगों को देखा होगा जो मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों की नौकरी छोड़कर खेती कर रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं.
Paddy Farming: आज के समय में खेती-बाड़ी एक अच्छे सोर्स ऑफ इनकम के तौर पर देखा जा रहा है. यही वजह है कि देश की युवा पीढ़ी भी कृषि में रुचि ले रही है. आपने ऐसे कई लोगों को देखा होगा जो मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों की नौकरी छोड़कर खेती कर रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं. केरल के मन्नार के रहने वाले समीर पी. चार साल पहले संयोग से धान की खेती में आ गए. आज वे एक सफल किसान हैं और उन्होंने खेती-बाड़ी में अच्छा मुकाम हासिल कर लिया है.
समीर एक आईटी पेशेवर थे. उन्होंने 2019 में चेंगन्नूर के पास ग्रामम में 20 एकड़ जमीन लीज पर ली और धान उगाना शुरू किया. इसमें सफलता मिलने के बाद उन्होंने अपनी अच्छी सैलरी वाली आईटी की जॉब छोड़ दी और धान की खेती करते रहने का मन बनाया. उन्होंने खेती का विस्तार किया और पहले 60 एकड़ में और बाद में 320 एकड़ में खेती की. उन्होंने हाल ही में अपना पोक्कली चावल ब्रांड 'ग्रामम' लॉन्च किया है और संयुक्त अरब अमीरात को 'पुट्टुपोडी' का निर्यात कर रहे हैं.
आईटी क्षेत्र में किया काम
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक समीर कहते हैं कि "मैंने दस साल से ज्यादा समय तक आईटी क्षेत्र में काम किया है, जिसमें सऊदी अरब में एक आईटी मैनेजर के रूप में भी काम किया. 2018 में केरल लौटने के बाद मैंने चेन्नई में मुख्य कार्यालय के साथ अपनी आईटी फर्म शुरू की, लेकिन बाद में धान की खेती की तरफ रुख कर लिया." धान की खेती से उनका नाता तब शुरू हुआ जब उन्होंने ग्रामम में एक धान के खेत को देखा. वे कहते हैं कि "जब मैं 2019 में खेत देखने गया तो मेरा बिजनेस अच्छा चल रहा था. पास में ही एक खेत खाली पड़ा था, जिसने मेरा ध्यान खींचा. मैंने जमीन को लीज पर लिया और आईटी क्षेत्र में काम करते हुए एक्सपेरिमेंट के तौर पर धान की खेती की."
आईटी बिजनेस रिश्तेदार को सौंपा
अच्छी पैदावार होने के बाद उन्होंने 2020 में खेती का विस्तार 60 एकड़ तक कर लिया, जिसे कुछ हद तक कोविड-19 के फैलने ने भी प्रेरित किया. उन्होंने जल्द ही अपने आईटी बिजनेस को एक रिश्तेदार को सौंप दिया ताकि वे पूरी तरह से कृषि पर ध्यान लगा सकें. असफलता के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और धान की खेती का और भी विस्तार किया. जब 60 एकड़ में खेती बाढ़ से प्रभावित हुई तो समीर ने गतिविधियों को चेरथला के पास पत्तनक्कड़ में स्थानांतरित कर दिया. समीर कहते हैं कि "उस समय कृषि मंत्री वी.एस. सुनील कुमार ने मुझे पत्तनक्कड़ में जमीन ढूंढने और वहां खेती स्थानांतरित करने में मदद की. मैंने लीज पर ली गई 120 एकड़ जमीन से शुरुआत की, जिसे अब बढ़ाकर 320 एकड़ कर दिया गया है." वह एक एकड़ से लगभग 20,000 रुपये का मुनाफा कमाते हैं. वह साल में दो बार धान की खेती करते हैं, जिसमें जून-अक्टूबर सीजन प्रमुख होता है.