नौकरी छोड़ शुरू की खेती-बाड़ी, अब हर साल 22 लाख की कमाई कर रहा बिहार का ये शख्स
Agriculture News: आपने ऐसे कई कई लोगों के बारे में सुना होगा, जो अपनी कॉर्पोरेट जॉब छोड़कर खेती कर रहे हैं और साल में लाखों रुपये कमा रहे हैं. बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले सुधांशु कुमार लीची की खेती करके अच्छी-खासी कमाई करते हैं.
Litchi Farming: आज कल खेती-बाड़ी को अच्छा सोर्स ऑफ इनकम माना जा रहा है. कई पढ़े-लिखे लोग भी आज के समय में कृषि में रुचि ले रहे हैं और अपनी मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों की नौकरी छोड़कर खेती कर रहे हैं और अच्छा रिजल्ट दे रहे हैं. आपने ऐसे कई कई लोगों के बारे में सुना होगा, जो अपनी कॉर्पोरेट जॉब छोड़कर खेती कर रहे हैं और साल में लाखों रुपये कमा रहे हैं. आज हम आपको ऐसे ही एक किसान सुधांशु कुमार के बारे बताने जा रहे हैं. इन्होंने पारंपरिक खेती के बजाए एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से खेती की और आज वे एक सफल किसान हैं.
खेत में उगाते हैं ये फसलें
बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले सुधांशु कुमार लीची की खेती करके अच्छी-खासी कमाई करते हैं. अपनी देखरेख में 15 एकड़ जमीन के साथ सुधांशु ने पिछले 34 वर्षों से खुद को खेती के लिए समर्पित कर दिया है. लीची के साथ-साथ वह स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट, कस्टर्ड सेब और बहुत कुछ सहित विभिन्न प्रकार की फसलें भी उगाते हैं. कृषि जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक सुधांशु ने बताया कि वह खेती से हर साल औसतन 20-22 लाख रुपये कमाते हैं.
नौकरी के बाद शुरू की खेती
हिस्ट्री में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद सुधांशु ने केरल के मुन्नार में टाटा टी गार्डन में एक असिस्टेंट मैनेजर के रूप में अपनी करियर यात्रा शुरू की. उनकी नौकरी काफी अच्छी चल रही थी और वे अच्छे पैसे भी कमा रहे थे. लेकिन, उनका दिल हमेशा से खेती-बाड़ी करने का करता था.
चुनौतियां
अपने पैशन को पूरा करने के लिए सुधांशु ने अपने होमटाउन लौटकर खेती करने का फैसला किया. हालांकि, उनका सफर इतना आसान नहीं था. उन्होंने पूरी तरह से बंजर जमीन से खेती की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने RPCAU, पूसा के साइंटिस्ट्स के गाइडेंस से कटाई और छंटाई जैसी साइंटिफिक टेकनीक्स को अप्लाई किया. जल्द ही उनकी मेहनत रंग लाई और वह अपनी जमीन से होने वाली कमाई को मात्र 25,000 से बढ़ाकर 1,35,000 करने में सफल रहे. इस सफलता ने सुधांशु के लिए कृषि में अपनी यात्रा जारी रखने के लिए मोटिवेशन और इंस्पीरेशन के रूप में काम किया और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.
हार्नेसिंग टेक्नोलॉजी
इसके बाद उन्होंने लीची का बाग लगाना शुरू किया. हालांकि, उन्हें सिंचाई संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. फिर उन्होंने स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को अपनाया. इसके अलावा, उन्हें अपनी उपज के लिए सही बाजार मूल्य खोजने में भी संघर्ष करना पड़ा. बेहतर मार्केट खोजने के लिए, उन्होंने मुजफ्फरपुर में प्रोसेसर्स से संपर्क किया, जो उनकी लीची खरीदने के लिए सहमत हुए. लेकिन, उनको लीची केवल सुबह 9 बजे चाहिए थी और वह जगह 100 किमी दूर थी. उन्होंने छह दिनों तक जी-तोड़ मेहनत की और रात भर लीची की कटाई की. उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें 3 लाख 65 हजार की कमाई हुई. इसके अलावा माइक्रो-इरिगेशन अपनाने से 20 वर्षों के भीतर उनकी आय 3 लाख से बढ़कर 20-22 लाख हो गई. हाल ही में उन्होंने 15 एकड़ का लीची का बाग 32 लाख में बेचा है.