रिक्शा छोड़कर शख्स ने शुरू की ऑर्गेनिक फार्मिंग, आज खेत से हाथों-हाथ बिक जाती है फसल, हो रही अच्छी कमाई
Organic Farming: कई लोग पारंपरिक खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक फार्मिंग को अपना रहे हैं और अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. आज आपको ऐसे ही एक किसान के बारे में बताते हैं, जिन्होने रिक्शा चलाना छोड़कर ऑर्गेनिक फार्मिंग की और आज वे एक सफल किसान हैं.
Agricultre News: आज कल ऑर्गेनिक फार्मिंग काफी प्रचलन में है. आपने भी इसके बारे में सुना होगा. कई लोग पारंपरिक खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक फार्मिंग को अपना रहे हैं और अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. खेती को आज के समय में अच्छा सोर्स ऑफ इनकम माना जा रहा है. राजस्थान के एक गांव के रहने वाले किसान शंकरलाल डामोर पांच साल पहले बांसवाड़ा जिले में रिक्शा चलाते थे. आज, वह एक सफल किसान हैं, जो ऑर्गेनिक फार्मिंग के तरीकों का उपयोग करके मौसमी सब्जियों के साथ-साथ गेहूं, चावल और मूंग की कई फसलें उगा रहे हैं.
शंकरलाल के बड़े बेटे ने गुजरात में खेत में मजदूरी का काम करते थे, जहां उन्होंने देखा कि एक औसत भूमि से भी अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इसके बाद उन्होंने खेती-बाड़ी का मन बनाया और 2020 में अपने गांव में दोबारा खेती शुरू की. शंकरलाल ने ऑर्गनिक फार्मिंग के क्षेत्र में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था वाग्धारा से बातचीत की और बीजों के बारे में गाइडेंस प्राप्त किया. इसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि जब तक वह खेती का तरीका नहीं बदलेंगे और वाग्धारा के कार्यकर्ताओं की सलाह के अनुसार नैचुरल फार्मिंग के तरीकों को नहीं अपनाएंगे, तब तक वह हमेशा कर्ज में डूबे रहेंगे.
ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत
कृषि जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक शंकरलाल ने ऑर्गेनिक फार्मिंग की शुरुआत की और अपने खेत और उसके आस-पास अमरूद, आम, केला और गन्ने के पेड़ लगाने से शुरुआत की. वाग्धारा के एक्सपर्ट्स ने शंकरलाल और उनके जैसे अन्य किसानों को बायो-फर्टीलाइजर्स-जीवामृत, बीजामृत आदि तैयार करने की क्षमता बढ़ाने के बारे में बताया. इसके साथ ही वर्मीकम्पोस्टिंग पर ट्रेनिंग के साथ-साथ उन्हें वर्मी बेड भी दिए गए.
खेत से हाथों-हाथ बिक रही फसल
परिवार की कड़ी मेहनत के से उनकी उपज की भारी मांग होने लगी. लोग उनकी उपज को स्थानीय बाजार में पहुंचने से पहले ही उनके खेत से खरीद लेते हैं. शंकरलाल के मुताबिक फर्टिलाइजर और पेस्टीसाइड के उपयोग में कमी के कारण उनकी लागत काफी कम हो गई है. ऑर्गेनिक गेहूं का सालाना उत्पादन 25 क्विंटल, धान का 10 क्विंटल और बैंगन, अमरूद, टमाटर आदि सब्जियों और फलों का उत्पादन 20 क्विंटल से ज्यादा है. शंकरलाल का सपना ज्यादा से ज्यादा लोगों को नैचुरल फार्मिंग अपनाने के लिए जागरूक करना और लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना है.