कैराना में था गायक मोहम्मद रफी का `घराना`, यहीं से सीखी थी उन्होंने गायकी
कैराना इन दिनों देश की राजनीति का अहम केंद्र बना हुआ है. जिस कैराना को धार्मिक आधार पर हुए पलायन के लिए जानते हैं, दरअसल वह शास्त्रीय संगीत की गायकी का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है.
कैराना इन दिनों देश की राजनीति का अहम केंद्र बना हुआ है. जिस कैराना को धार्मिक आधार पर हुए पलायन के लिए जानते हैं, दरअसल वह शास्त्रीय संगीत की गायकी का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. लेकिन, अब यहां के संगीत घराने का भी पलायन हो चुका है. कभी कैराना को सुरीले आवाज के जन्मदाता के रूप में जाना जाता था. लेकिन, अब कैराना संगीत से कोसों दूर हो चुका है. उत्तर प्रदेश के शामली का यह कस्बा शास्त्रीय संगीत के उस्ताद अब्दुल करीब खान के 'किराना घराने' के लिए मशहूर रहा है. कैराना का यह वही घराना है, जहां से कभी मोहम्मद रफी ने गायकी सीखी थी.
पलायन कर गया घराना
शास्त्रीय संगीत के घराने के संस्थापक उस्ताद अब्दुल करीम खान और उनका परिवार समेत पूरा घराना यहां से बरसों पहले पलायन कर गया. अब यह घराना पश्चिम बंगाल में रहता है. किराना घराना ने भीमसेन जोशी बल्कि गंगूबाई हंगल, सवाई गंधर्व, सुरेश बाबू माने, रोशन आरा बेगम, बेगम अख्तर और हीराबाई बादोडकर जैसे बड़े शास्त्रीय संगीतकार दिए हैं. मोहम्मद रफी भी इसी घराने के गायक अब्दुल वहीद खान के शागिर्द थे.
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हिंदू-मुस्लिम का हुआ पलायन
यहां से पलायन तो हिंदू-मुस्लिम दोनों का हुआ है, लेकिन उसकी वजह धार्मिक तनाव कभी नहीं रहा. कैरानवीं कहते हैं कि गायक मन्ना-डे जब किसी काम से कैराना पहुंचे थे तो इसकी सीमा में घुसने से पहले सम्मान में उन्होंने अपने जूते उतारकर हाथ में रख लिए थे. आज की स्थिति यह है कि इस कस्बा का न तो वो कद है और न ही सम्मान. अब बस यह राजनीति का एक मैदान बनकर रह गया है.
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किराना की परंपरा से जुड़े शास्त्रीय गायक
हिंदुस्तान के सभी घरानों में इस वक्त सबसे ज्यादा लोकप्रिय किराना घराना ही है और इस दौर में सबसे ज्यादा शास्त्रीय गायक इसी परंपरा से जुड़े हैं. कैराना से ही किराना घराना शब्द की उत्पत्ति हुई है. कहा जाता है कि मुगल शहंशाह जहांगीर के दौर में आई भीषण बाढ़ के कारण उनके दरबार के कई मशहूर संगीतकारों, गायकों के घर नष्ट हो गए. नतीजतन शहंशाह ने कैराना कस्बे में उन सबको बसाया.
गायकी की परिचय दुनिया को कराया
यह घराना भारतीय शास्त्रीय संगीत और हिंदुस्तानी ख्याल गायकी परंपरा से जुड़ा है. यह उस्ताद अब्दुल करीम खां (1872-1937) की जन्म स्थली भी है. इन्हें ही इस घराना का वास्तविक संस्थापक माना जाता है और इस परंपरा के सबसे महत्वपूर्ण संगीतज्ञ माने जाते हैं. अपने भतीजे अब्दुल वाहिद खान के साथ उन्होंने किराना घराना गायकी को प्रसिद्धि दिलाई. उस्ताद अब्दुल वाहिद खान ने ख्याल गायकी में अति-विलंबित लय का परिचय दुनिया को कराया.
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कब शुरू हुआ पलायन विवाद
पलायन के विवाद की शुरुआत जून 2016 में तब हुई थी जब यहां से बीजेपी सासंद हुकुम सिंह 346 हिंदू परिवारों की सूची सौंपते हुए यह आरोप लगाया कि कैराना को कश्मीर बनाने की कोशिश की जा रही है. हुकुम सिंह ने कहा था कि यहां हिंदुओं को धमकाया जा रहा है, जिससे हिंदू परिवार बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं.