magha nakshatra celebrities: तारामंडल के दसवें नक्षत्र का नाम है मघा. नक्षत्रों में कुछ नक्षत्र ऐसे भी है, जिनके नाम से हिंदी महीनों के नाम भी हैं, जैसे मघा से माघ. जिस नक्षत्र का नाम महीने में लिया गया है तो निःसंदेह उस  नक्षत्र में कुछ दिव्यता जो होगी. अंतरिक्ष में मघा नक्षत्र में 6 तारे होते हैं, जो हंसिया या दरांती की आकृति का बनता है. मघा शब्द का अर्थ होता है बलवान, महान, शक्तिशाली. मघा नक्षत्र का चिह्न यानी हंसिया का उपयोग फसल काटने में किया जाता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों का एक खास कारण होता है, वह है उन्होंने अपने पूर्व जन्म में जो भी पुण्य कर्म की फसल लगाई होती है, उसको इस जन्म में हंसिया से काटना होता है. यह लोग शुभ कार्य करते हुए स्वास्थ्य, सम्मान, सत्ता और सुख प्राप्त करते हैं. 


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यह नक्षत्र सिंह राशि में होता है, इसलिए जिन लोगों की सिंह राशि है, उनका मघा नक्षत्र हो सकता है. मघा नक्षत्र के देवता पितर हैं. पितर का अर्थ है, जो लोग अब जीवन नहीं हैं, लेकिन उनकी कीर्ति काया सदैव जीवित रहती है. एक बात यह समझ लीजिए कि पितर किसी भी परिवार के इमीडिएट बॉस भी होते हैं, जो आत्मा स्वरूप होते हैं. इनको प्रसन्न रखना अति आवश्यक होता है, क्योंकि देवता भी पितरों के प्रसन्न होने पर ही प्रसन्न होते हैं. मघा नक्षत्र वाले व्यक्ति पैतृक गुणों की संपदा, संस्कार प्राप्त कर अपनी उन्नति करते हैं. 


राजमहल का सिंहासन


कई विद्वानों ने इस नक्षत्र को राज महल का सिंहासन भी बताया है. इस नक्षत्र का व्यक्ति राजा के समान धन, वैभव, मान, प्रतिष्ठा, उच्च अधिकार प्राप्त करने वाला होता है. इन लोगों को अपने पितरों का आशीर्वाद एवं स्नेह पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है. यह लोग अपने जन्म को यानी अपने वर्तमान को बहुत अच्छे से संवारने का काम करते हैं. इस नक्षत्र में जन्मे लोग धनी मानी व्यक्तियों के सहयोग से सभी सुविधाएं जुटाने में सफल रहते हैं. ऐसे व्यक्तियों को ऑफिस में उन्नति प्राप्त होती रहती है. इन्हें सामाजिक दायित्व का निर्वाह करने में बहुत सुख और शांति मिलती है. 


यह अलौकिक सुख प्राप्त करने के साथ-साथ पारलौकिक गति भी ठीक रहे, इस बात का भी ध्यान रखते हैं. ऐसे लोगों को अपनी पुरानी वस्तुएं या कोई भी पुरातन चीज को संभाल कर रखना पसंद होता है. ये लोग अपने से ऊपर की पीढ़ियों के व्यक्ति यानी पूर्वजों को निरंतर याद करते रहते हैं और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं. यह लोग जिस संस्थान में कार्य करते हैं, वहां के उत्थान के लिए निःस्वार्थ भाव से अपना योगदान देते हैं. यह लोग पीछे रहकर कार्यों का निर्देशन करने में निपुण होते हैं और उसके प्रति सम्मान या धन की अपेक्षा भी नहीं रखते हैं. संस्थान के लिए ऐसे निःस्वार्थी लोग एसेट होते हैं.