Anger Tips: मनुष्य के अस्तित्व का एक प्राकृतिक अनुभव खुशी और नाराजगी के रूप में प्रकट होता है. क्रोध का मुख्य कारण मनुष्य की असंतुष्टि, असंतुष्टि या अपेक्षाओं के अनुसार उपलब्धि न होना होता है. क्रोध विभिन्न रूपों में प्रकट होता है, जैसे कि क्रूर, तेज, धार्मिक, सामान्य आदि. महाभारत की कथा के अनुसार दुशासन ने द्रौपदी के वस्त्र खींचे तो पांचों पांडवों में क्रोध उत्पन्न हुआ, अर्जुन ने कुरुक्षेत्र में अपने पितामह भीष्म और गुरु द्रोणाचार्य से युद्ध तो किया किंतु वह धर्मयुद्ध था जिसने उसके मन में क्रोध नहीं आने दिया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्रोध के नतीजें
क्रोध को किसी भी रूप  में अच्छा नहीं कहा जाता है, क्रोध आना गलत है क्योंकि यह मनुष्य की एक नकारात्मक भावना है. क्रोध करने से व्यक्ति स्वयं को या अपने आस-पास के लोगों को हानि पहुंचा सकता है. इसके प्रभाव में आकर व्यक्ति विवेकहीन निर्णय ले सकता है और ऐसे निर्णय के क्रियान्वयन के बाद उसे पछताना पड़ता है. क्रोध आपस के संबंधों को तोड़ देता है. यह किसी भी व्यक्ति को हिंसक बना सकता है और भयंकर नतीजों का कारण बन सकता है.


इन आध्यात्मिक उपायों से कर सकते हैं क्रोध को नियंत्रित 


मनन और अनुशासन: क्रोध को नियंत्रित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय है मनन और अनुशासन. हमें अपने मन को संयमित रखते हुए नकारात्मक विचारों को दूर करना चाहिए. 


प्रार्थना और ध्यान: ध्यान और प्रार्थना मानसिक शांति और स्वयं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. ध्यान द्वारा हम अपने आंतरिक शांति और धैर्य का संरक्षण करते हैं जो हमें क्रोध को संभालने में सहायक होता है.


कर्मयोग: कर्मयोग में हम निष्काम भाव से कार्य करते हैं और फलों की चिंता नहीं करते हैं, भगवान श्री कृष्ण ने युद्ध क्षेत्र में अर्जुन को कर्मयोग का संदेश ही दिया था. यह हमें क्रोध के कारण होने वाले अशांति से दूर रखता है.


संयमित जीवनशैली: विशेष रूप से आहार, सोने की अवधि, और दिनचर्या में संयम बनाए रखने से भी क्रोध को नियंत्रित किया जा सकता है.


क्षमा: क्रोध को नियंत्रित करने का सबसे शक्तिशाली तरीका है क्षमा. हमें दूसरों को क्षमा करना और उन्हें उनकी गलतियों के लिए माफ करना चाहिए. 


सच्चा सुख अपनाएं: क्रोध को नियंत्रित करने के लिए हमें वास्तविक सुख का आनंद लेना चाहिए, जो सात्विक और स्थायी होता है. इसके लिए हम भगवद्गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन कर सकते हैं जो हमें आनंद के साथ नैतिक जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करता है.