Dhanishta Nakshatra Which Rashi: धनिष्ठा नक्षत्र 4 तारों का समूह है, जो ढोल या मृदंग की आकृति का आभास देता है. यह वाद्य यंत्र भीतर से खोखले होते हैं, जिसका यहां पर अर्थ है अहंकार न होना. प्राचीन समय में धनिष्ठा को श्रविष्ठा भी कहा जाता था.  धनिष्ठा का अर्थ होता है धन-संपदा से पूर्ण. इस नक्षत्र के देवता 8 वसुओं को माना गया है. वसु अर्थात उत्कृष्ट, श्रेष्ठ मणि व रत्न, धन-वैभव, समृद्धि, कुबेर. यह नक्षत्र मकर राशि और कुंभ राशि को जोड़ने वाला नक्षत्र है, इसलिए जिन लोगों की मकर या कुंभ राशि है, उन लोगों का धनिष्ठा नक्षत्र हो सकता है.  


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धनिष्ठा नक्षत्र वाला व्यक्ति अहंकार में आकर सामने वाले को कटु वचन बोल सकते हैं, इसलिए इन्हें अहंकार को कम रखते हुए मधुर वाणी ही बोलनी चाहिए. धनिष्ठा नक्षत्र वालों को अपने आहार में बहुत सावधानी रखनी चाहिए, क्योंकि अग्नि तत्व अधिक होने के कारण उनको सीने में जलन और एसिडिटी की समस्या अधिक रहती है. इस नक्षत्र के लोगों को अपने दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए थोड़ी अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है. दांपत्य जीवन में मनमुटाव और तनाव की आशंका अधिक रहती है. 


उपाय


धनिष्ठा नक्षत्र की वनस्पति है शमी, शमी का दूसरा नाम खेजड़ी भी है. यह मरुस्थल एवं अन्य स्थानों में पाया जाता है. दशहरे के दिन शमी के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा भी है. इसके बहुत से औषधीय गुण भी हैं. पांडवों ने अज्ञातवास के अंतिम वर्ष में गांडीव धनुष व अन्य अस्त्र इसी पेड़ की डालियों में छिपा दिया था. इसी तरह लंका विजय से पूर्व भगवान श्री राम द्वारा भी शमी वृक्ष के पूजन का उल्लेख मिलता है. धनिष्ठा नक्षत्र के लोगों को अधिक से अधिक शमी वृक्ष लगाने चाहिए और उसकी सेवा भी करनी चाहिए.


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