Nakshatra: इस राशि के जातकों का होता है श्रवण नक्षत्र, आक के पौधे के उपाय से मिलता है शुभ फल
Shravana Nakshatra 2023: श्रवण शब्द का अर्थ है सुनना, अध्ययन, ख्याति और कीर्ति. श्रवण से ही श्रुति व स्मृति बना, जो कि पुराण साहित्य का मूल आधार है. श्रवण नक्षत्र की तुलना मनुष्य के कान से की जाती है, क्योंकि श्रवण का अर्थ सुनना और सुनने का कार्य, जो की कान से ही होता है.
Shravana Nakshatra Which Rashi: तारामंडल में 22 वें नक्षत्र का नाम है श्रवण. श्रावण मास की पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधन वाले दिन चंद्रमा श्रवण नक्षत्र पर होता है. कहा जाता है कि वामन अवतार में भगवान विष्णु ने जब राजा बलि तीन पग भूमि मांगी थी तो उनका पांव आकाश में श्रवण नक्षत्र पर ही पड़ा था. विद्वानों ने श्रवण नक्षत्र के तीन तारों को भगवान विष्णु के तीन चरण माना है. कुछ विद्वान तीन तारों में त्रिलोक, त्रिकाल व त्रिगुण देखते हैं. कुछ लोग श्रवण नक्षत्र के तीन तारों को भगवान शिव का त्रिशूल मानते हैं.
श्रवण शब्द का अर्थ है सुनना, अध्ययन, ख्याति और कीर्ति. श्रवण से ही श्रुति व स्मृति बना, जो कि पुराण साहित्य का मूल आधार है. श्रवण नक्षत्र की तुलना मनुष्य के कान से की जाती है, क्योंकि श्रवण का अर्थ सुनना और सुनने का कार्य, जो की कान से ही होता है. श्रवण नक्षत्र के देवता, भगवान विष्णु को माना गया है. श्रवण नक्षत्र मकर राशि में पड़ता है, इसलिए जिन लोगों की राशि मकर है, उनका श्रवण नक्षत्र हो सकता है.
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि अपने सिद्धांत पर अडिग रहते हुए न्याय संगत कार्य करना चाहिए, क्योंकि मन में कई बार नकारात्मक विचार आ सकते हैं और गलत तरीके से धन कमाने का विचार मस्तिष्क में कौंध सकता है. यदि श्रवण नक्षत्र वाले व्यक्ति की संगत बिगड़ जाए तो यह पथ भ्रमित हो जाते हैं और गलत रास्ते पर चलते हुए गलत कार्य करने लगते हैं, इसलिए यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि जो लक्ष्य साधा है वह नैतिक और समाज में मान्य हो.
इन लोगों को दूसरों पर क्रोध जल्दी नहीं आता है, लेकिन जब आ जाता है तो काफी लंबे समय तक यह उस व्यक्ति से क्रोधित बने रहते हैं. यह लोग जिससे नाराज होते हैं, उसके लिए अपने मन में पूर्वाग्रह भी पाल लेते हैं. यह प्रवृत्ति इनको व्यापारिक और सामाजिक दोनों ही रूप से नुकसान पहुंचाती है.
उपाय
श्रवण नक्षत्र वालों की वनस्पति मदार है, जिसका पौराणिक नाम अर्क है. इसको मंदार, आक, और अकौआ भी कहते हैं. इसके पत्ते, बरगद के पत्तों के समान मोटे होते हैं. इसका फूल सफेद होता है और शाखाओं से दूध निकलता है. इसका उपयोग दवाओं में होता है और फूल गणेश जी की पूजा में शामिल किया जाता है. इस पौधे को घर में लगाकर जल देना चाहिए. श्रवण नक्षत्र वालों को आक के वृक्षों को लोगों को उपहार स्वरूप भी देना चाहिए. शहरों की ग्रीन बेल्ट में भी इसे लगाया जा सकता है, लेकिन लगाने के बाद देखभाल अवश्य करें. ऐसा करने से नक्षत्र बलवान होगा और अपने समस्त शुभफल प्रदान करता है.