Auspicious Yogas in Astrology: योग कुंडली को मजबूत बनाता है. यह केवल धन ही नहीं, अपितु आने वाली समस्यों से भी पार लगाने का काम करता है. सभी व्यक्ति की कुंडली में कई योग विध्मान होते हैं, जो कर्मों के अनुसार अच्छे-बुरे और सामान्य फल देते हैं. कुछ योग तो फलित होते ही व्यक्ति को धन-संपदा के साथ यश को दिलाने वाले होते हैं. आज के लेख में कुछ ऐसे ही योगों के विषय में जानेंगे. 


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चन्द्राधि योग- जब चन्द्रमा से 8, 6 और 7वें में शुभ ग्रह हों तो अधियोग बनता है. जिस व्यक्ति की जन्मकुण्डली में यह योग हो वह राजा, मंत्री या सेना का मुख्य होता है. उदाहरण- श्रीमती इंदिरा गांधी तथा श्री मोरारजी देसाई की कुंडलियों में यह योग विधमान है.


अमल योग-  यदि लग्न या चन्द्रमा से दसम् मे केवल शुभ ग्रह हो तो अमल योग बनता है. जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग हो वह राजा (सरकार) से सम्मान पाता है, सुखों का भोग करता है. वह दान देने में रुचि रखता है, संबंधियों का शौकीन, दूसरों का सहायक तथा पवित्र और सदाचारी होगा. 


वेसि योग- यदि सूर्य से दूसरे भाव में कोई ग्रह हो (चन्द्रमा को छोड़कर) तो यह योग बनता है. इस योग में उत्पन्न व्यक्ति समदर्शी, विश्वासी, अकर्मण्य, लम्बे शरीर वाला, खुश ओर थोड़ा धन वाला होता है.


वसि– वोसि योग- यदि सूर्य से 12 कोई ग्रह (चन्द्रमा को छोड़कर) हो तो यह योग बनता है. इस योग में उत्पन्न व्यक्ति कुशल, दानवीर, विद्धान, बलवान, दान देने वाला, प्रसिद्ध होगा.


उभयचारी योग- जब सूर्य से 2 और 12 में दोनों में कोई ग्रह (चन्द्रमा को छोड़कर) हो तो उभचारी योग बनता है. व्यक्ति राजा या राजा समान और सुखी होगा. सुन्दर और आर्कषक, मधुभाषी, लोगों को बातों से आनन्दित करने वाला, वाक्पटु प्रसिद्ध और धनी होते हैं.


बुध आदित्य योग- यदि सूर्य और बुध एक राशि में साथ-साथ स्थित हो तो इसे बुध आदित्य योग कहा जाता है. यह योग अधिकतर लोगों की कुंडली में विधमान होता है. इस योग में उत्पन्न व्यक्ति बुद्धिमान, सम्मान पाने वाला, कार्य करने में निपुण, प्रसिद्ध और आराम और सुख में जीने वाला होगा.


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