Ganga snan rules in hindi: कहा जाता है कि गंगा स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं. यह बात बिल्कुल सही भी है कि यदि विश्वास और आस्था के साथ हम गंगा जी में स्नान करें तो निश्चित रूप से पाप धुल जाते हैं. शायद यही कारण है कि हम सदियों से गंगा को मां के रूप में मानते और संबोधित करते रहे हैं, लेकिन आज औद्योगिकीकरण के चलते गंगा में ही उद्योगों का केमिकल युक्त दूषित जल और नगरों के सीवरेज वाटर भी गंगा में बहने लगे हैं. आधुनिकीकरण के चलते लोगों ने गंगा में स्नान करने के शास्त्रीय विधान को भी भुला दिया है. गंगा स्नान करने के कुछ शास्त्रीय नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना ही चाहिए.


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सबसे पहली बात तो यही है कि गंगा स्नान पाप धोने के लिए है. इसमें स्नान मैल धोने के लिए नहीं किया जाता है, इसलिए वॉशरूम में सामान्य पानी से स्नान करने के बाद ही गंगा जी में स्नान करना चाहिए. गंगा जी में हमारी अशुद्धि नहीं जानी चाहिए, इसलिए गंगा जी में मूसल स्नान करना चाहिए. यानी बस डुबकी लगाई और बाहर निकल आए. गंगा जी में शरीर को हाथ से रगड़ कर मैल नहीं छुड़ाना चाहिए.


तौलिया 


सूतक की स्थिति में भी गंगा स्नान किया जा सकता है. बहनें-माताएं अपवित्र अवस्था में गंगा जी में स्नान न करें, बल्कि घर पर ही गंगाजल मंगवा कर नहाएं तो अच्छा रहेगा. ठंड के दिनों में स्नान के लिए गंगाजल को कभी भी गर्म नहीं करना चाहिए. यदि गंगा जल को गर्म करना ही है तो उसे सूरज की धूप में रखकर गर्म करना चाहिए. गंगा स्नान के पश्चात घर में आकर उसी दिन दोबारा स्नान नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से मां का दिव्य और पवित्र आशीष नहीं मिल पाता है, साथ ही मां गंगा का अपमान भी होता है.