Phool Ke Upay: सभी देवों में गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम की जाती है. गणेश जी को गुड़हल का लाल फूल विशेष प्रिय होता है. इस पुष्प को अर्पित करने से वह अपने भक्तों के जीवन को विघ्न बाधाओं से मुक्त करते हैं. चांदनी, चमेली या पारिजात के फूलों की माला पहनाने से भी गणेश जी प्रसन्न हो कर अपनी कृपा बरसाते हैं. जिस तरह गणेश जी को लाल रंग के गुड़हल का फूल प्रिय है. उसी तरह से मां दुर्गा को भी यह लाल गुड़हल पसंद है. जो श्रद्धालु उन्हें यह फूल चढ़ाते हैं, उनके दुख कष्टहारिणी माता दुर्गा हर लेती हैं. 


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शिवजी भी पुष्प अर्पण से प्रसन्न होते हैं. कहा गया है कि किसी ब्राह्मण को सौ सोने की मुद्रा दान देने से जो फल प्राप्त होता है. वही फल शिवजी को सौ पुष्प अर्पित करने से मिलता है. सोने की दस मुद्राओं के दान का फल आक का एक फूल चढ़ाने से मिलता है. इसी तरह हजार आक के फूलों का फल कनेर के एक फूल से और कनेर के हजार फूलों के बराबर एक बिल्वपत्र को माना गया है. शिवजी को प्रसन्न करने के लिए एक बिल्वपत्र भी पर्याप्त है, लेकिन शिवजी को कभी भी केतकी यानी केवड़े का फूल नहीं चढ़ाना चाहिए. 


तुलसी और दूर्वा 


गणेश जी को कभी भी तुलसी दल नहीं चढ़ाना चाहिए. पद्म पुराण आचार रत्न में लिखा है कि “न तुलस्या गणधिपम्” अर्थात तुलसी से गणेश जी का पूजन कभी नहीं करना चाहिए. कार्तिक महात्म्य में लिखा है “गणेश तुलसी पत्र दुर्गा नैव तू दुर्वाया” अर्थात गणेश जी को तुलसी और दुर्गा जी को दूर्वा कभी न अर्पित करें. गणेश जी को दूर्वा बहुत ही पसंद है. उन्हें सफेद या हरी दूर्वा चढाना चाहिए, जिसकी फुनगी में तीन या पांच पत्ती हों.


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