Hanuman ji Upay: बजरंग बली को यूं ही संकट मोचक नहीं कहा जाता है. वह अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं. उनकी अराधना करने से भक्तों को हर तरह के रोग, कष्ट और भय से मुक्ति मिलती है. ऐसे में हनुमान भक्त उनकी आराधना, पूजन, भजन, हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करते हैं.


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जन्म कथा


स्वर्ण के बने सुमेरू पर्वत पर राजा केसरी का राज्य था. उनकी पत्नी अंजनी ने स्नान के बाद वस्त्र और आभूषण धारण किए, तभी पवन देव ने उनके कानों में प्रवेश कर आश्वासन दिया कि तुम्हारा सूर्य, अग्नि और स्वर्ण के समान तेजस्वी और वेद वेदांगों का ज्ञाता महाबली पुत्र होगा और ऐसा ही हुआ और हनुमान जी ने उनके गर्भ से जन्म लिया. सुबह सूर्योदय के समय जब माता अंजनी हनुमान की भूख शांत करने के लिए फल लेने चली गयीं, तभी उनकी नजर पेड़ों की ओट से झांकते उदित होते सूर्य के लाल गोले पर पड़ी. वह उसे ही फल समझ कर आकाश की ओर उछले. उस दिन अमावस्या होने के कारण राहू सूर्य को ग्रसने आया था, लेकिन जब उसने हनुमान जी को ग्रसने का प्रयास करते देखा तो दूसरा राहू समझ कर वहां से भाग गया.


आराधना 


प्रातःकाल प्रभु श्री राम, जानकी जी और हनुमान जी का स्मरण करते हुए उठें और स्नान आदि करने के बाद हनुमान जी की पूर्व प्रतिष्ठित प्रतिमा के पास पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके पद्मासन में बैठ कर हनुमान जी के इस मंत्र का ध्यान करें.


अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्। 
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।


गंगाजल से स्थान पवित्र करते हुए हनुमान जी का यथाविधि पूजन करें. लाल रंग का पीतांबर पहनाने के बाद चंदन, यज्ञोपवीत, ताजे पुष्प, धूप तथा घी का दीपक जलाने के बाद पुआ, बेसन अथवा आटे के लड्डू, फल आदि अर्पित करें. हनुमान चालीसा, सुंदर कांड आदि का पाठ करने के बाद पूरी आस्था के साथ आरती करें और फिर आसपास सभी लोगों को प्रसाद वितरित करें. 


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