Kal Sarp Yog Remedy: क्या आप कालसर्प योग को लेकर भयभीत हैं तो अपने मन के इस डर को बिल्कुल ही निकाल दें और 21 अगस्त 2023 को होने वाले नागपंचमी पर्व के दिन नीचे लिखे उपायों को करके आप इस योग से होने वाले दोषों को दूर कर भयमुक्त हो सकते हैं. 


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- नागपंचमी के दिन सुबह नागदेवता का स्मरण करके मन ही मन प्रणाम करें. अपनी जाने-अनजाने हुई भूलों के लिए क्षमा याचना करें. 


- सुबह नहा-धोकर इस दिन के व्रत- उपवास का संकल्प लेना चाहिए. 


- नागपंचमी के दिन नाग के प्रतीक के रूप में चांदी अथवा तांबे की सर्प प्रतिमा या रस्सी में सात गांठ लगाकर नाग का प्रतीक मानकर पूजा करने का विधान है. 


- उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अधिकांश लोगों के घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर गोबर या कोयले से नाग की मूर्ति बनाकर दूध, दही, भात, नैवेद्य का भोग लगाते हुए भोजन करने का विधान है. 


- इस दिन भगवान शंकर का रुद्राभिषेक व नागपूजन करने के बाद दूध या उससे बने पदार्थों के देने का विधान हैं. 


- शिव मंदिर में पंचामृत, दूध, दही, शहद, गंगाजल, शुद्ध घी से शिवलिंग का अभिषेक करके रुद्राक्ष माला से ऊँ नमः शिवाय का जप करें. अंत में तांबे का सर्प शिवलिंग पर विधिपूर्वक चढ़ाएं


- अपनी राशि अनुसार चांदी या तांबे का नाग-नागिन का जोड़ा बनवाकर विधिपूर्वक पूजा करवाने के बाद भगवान शंकर के मंदिर में भेंट करें. 


- नागपंचमी के दिन सात अनाज, काले तिल, नीला वस्त्र, नारियल सामर्थ्यानुसार घोड़ा इत्यादि दान करें.


- सुप्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में जाकर काल सर्पयोग का विधिपूर्वक शांत करवाना सर्वाधिक उचित व शास्त्र सम्मत है. यह विधि- विधान प्राचीन काल से होता आया है. 


- विशिष्ट मुहूर्त में अश्विनी, रोहणी, आद्रा, पुनवर्सु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, उत्तरा, हस्त, स्वाती, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, रेवती आदि सोलह नक्षत्र में से किसी एक नक्षत्र में पूजा करना शुभ माना गया है. 


- राहु के अधिदेवता काल और प्रत्यधि देवता सर्प हैं. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ग्रह की शांति के लिए अधिदेवता की पूजा करनी चाहिए. इस प्रकार इस शांति का नाम कालसर्प शांति रखा गया है. राहु, काल और सर्प तीनों की पूजा, मंत्र जप, ददांश, होम, ब्रह्म भोज, दान आदि करने से जीवन में सुख प्राप्त होता है. मंत्र जप के लिए शिव मंदिर श्रेष्ठ स्थान माना जाता है. 


- नागपंचमी के दिन सर्प के आकार की सब्जियों का दान करें. 


- शाम के समय शिवालय में बैठकर नाग स्त्रोत सूर्यसूक्त का पाठ करें. 


- पंचामृत से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने के बाद राशि के अनुसार नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिंग के पास चढ़ाएं. मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, धनु, और मीन राशि के लोग तांबे का नाग-नागिन एवं वृष, कर्क, कन्या, तुला, मकर राशि वाले चांदी का नाग-नागिन अर्पित करें.