karva chauth ka karwa: करवा चौथ के व्रत में कुछ ही दिन बाकी हैं. करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को रखा जाता है. इस बार करवा चौथ 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. करवा चौथ की पूजा विधी-विधान से की जाती है. इस पूजा में करवा का काफी महत्व है. इसके बिना व्रत अधूरा माना जाता है.


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देवी मां का प्रतीक


करवा चौथ व्रत की शुरुआत सूर्योदय के साथ हो जाती है और रात को चांद देखने के बाद ही व्रत पूरा होता है. करवा चौथ की पूजा में करवा का इस्तेमाल किया जाता है. यह काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. यह मिट्टी का बना हुआ होता है. करवे की देवी का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है.


मिट्टी का करवा


वहीं, जिन लोगों के पास मिट्टी का करवा नहीं होता है, वे लोग तांबे या स्टील के लोटे का इस्तेमाल करवे के तौर पर करते हैं. पूजा के दौरान दो करवे बनाएं जाते हैं. इनमें से एक देवी मां का होता है और दूसरा व्रत रख रहीं सुहागिन महिला का.


दो करवे


करवा चौथ की व्रत कथा सुनते समय दोनों करवे पूजा स्थान पर रखे जाते हैं. करवे को साफ करके उसमें रक्षा सूत्र बांधकर, हल्दी और आटे के मिश्रण से एक स्वस्तिक चिह्न बनाया जाता है. इसके बाद करवे पर 13 रोली की बिंदी को रखकर हाथ में गेहूं या चावल के दाने लेकर करवा चौथ की कथा सुनी जाती है. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)