Kinnar Last Rites in India: भारत में किन्नर अन्य समाज से अलग-थलग ही रहते हैं. हालांकि, जब किसी के घर में खुशियां मनाई जाती हैं, जैसे बच्चे के पैदा होना या फिर शादी, तब ये लोग अचानक से दिख जाते हैं. किन्नर समाज के लोग खुशियों में शामिल होकर अपना आशीर्वाद देते हैं. ऐसी मान्यता है कि इनकी दुआ और बद्दुआ में काफी असर होता है. यही कारण लोग इनको नाराज करने से बचते हैं और दान-दक्षिणा देकर खुशी-खुशी रुखसत करते हैं. किन्नर समाज को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं. इनके जन्म से लेकर रहन-सहन और अंतिम संस्कार के बारे में लोग जानता चाहते हैं. आज के लेख में बताएंगे कि किन्नरों का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है.   


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अशुभ


जब किसी किन्नर की मौत होती है तो उसकी शव यात्रा दिन में नहीं निकाली जाती है. उनकी शव यात्रा को रात के अंधेरे में चुपचाप निकाला जाता है. इसके पीछे की वजह होती है कि किन्नर की शव यात्रा देखना अशुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि अगर कोई इंसान किन्नर की शव यात्र को देख लेता है तो उसे अगले जन्म में किन्नर बनना पड़ता है. किन्नर समाज के लोग भी नहीं चाहते हैं कि कोई दूसरा किन्नर बने और इस यातना से गुजरे. ऐसे में शव यात्रा रात को निकाली जाती है.


जश्न


जब भी किसी किन्रर की मौत होती है तो मातम नहीं मनाया जाता है, बल्कि खुशी जाहिर कर जश्न मनाया जाता है. उनका मानना होता है कि किन्नर का जीवन काफी मुश्किल भरा होता है और मौत के बाद इस यातना से मुक्ति मिलती है. ऐसे में किसी किन्नर की मौत होने पर जश्न मनाया जाता है.


शव को पीटना


किन्नर समुदाय के लोग अंतिम यात्रा निकालने से पहले शव को जूते-चप्‍पलों से पीटते हैं, ताकि दिवंगत किन्नर को दोबारा इस योन‍ि में जन्‍म न मिले. सभी किन्‍नर शव के पास खड़े होकर उसकी मुक्ति के लिए अपने आराध्‍य देव को धन्‍यवाद देते हैं. किन्नर समाज शव को जलाता नहीं है, बल्कि उसे दफनाता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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