Shradh ka Bhojan: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या के बीच के इन 15 दिनों में पितरों की आत्‍मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि किया जाता है. यह समय पूर्वजों के प्रति सम्‍मान प्रकट करने का होता है. श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है. ब्राह्मण भोज के बिना श्राद्ध का पूरा फल नहीं मिलता है. मान्यता है कि श्राद्ध के दौरान किसी ब्राह्मण को कराया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है. इसके साथ ही गाय, कुत्‍ते और कौवे को भी भोजन कराना बहुत जरूरी है. श्राद्ध के दौरान किसी ब्राह्मण को अपने घर में आमंत्रित करने से लेकर भोजन कराकर विदा करने तक के लिए कुछ नियम बताए गए हैं. जिनका पालन करना जरूरी है. 


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श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन कराने के नियम


- पितृपक्ष में धर्म-कर्म का पालन करने वाले योग्‍य ब्राह्मण को ही भोजन कराने का विधान है. आप अन्‍य लोगों को भी आमंत्रित कर सकते हैं लेकिन जिस संख्‍या में ब्राह्मण भोज कराना चाहते हैं, वे धर्म-कर्म करने वाले ब्राह्मण ही हों. 


- ब्राह्मणों भोजन करने के लिए बेहद सम्‍मानपूर्वक आमंत्रित करें और बेहतर होगा कि ऐसे ब्राह्मण को भोजन के लिए बुलाएं जो उस दिन किसी अन्‍य श्राद्ध में भोजन करने ना जा रहा हो. 



- श्राद्ध का भोजन बेहद शुद्धता और पवित्रता से बनाएं. इस दिन वह चीजें प्रमुखता से बनाएं जो दिवंगत व्‍यक्ति को बहुत पसंद थीं. पितरों की रुचि के अनुसार भोजन बनाकर ब्राह्मण को खिलाने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है.


- पितृपक्ष में पितरों के लिए किया जा रहा श्राद्ध हमेशा दोपहर के समय किया जाता है, इसलिए ब्राह्मण को भोजन के लिए दोपहर में ही आमंत्रित करें. शाम या रात में श्राद्ध का भोजन ना कराएं. 


- श्राद्ध के भोजन में कभी भी लहसुन, प्याज आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए. ना ही ब्राह्मण भोजन में लहसुन-प्‍याज का इस्‍तेमाल करें. 


- श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन कराते समय उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर हो, ऐसी व्‍यवस्‍था करें. 


- पितृपक्ष के दौरान जब अपने पितरों के निमित्त ब्राह्मण को भोजन कराएं तो भोजन कांसे, पीतल, चांदी के बर्तन या फिर पत्तल में परोसें. पितृपक्ष में ब्राह्मण को स्टील की थाली में भोजन कराने की भूल न करें.


- ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद उसे दान-दक्षिणा जरूर दें. साथ ही ध्‍यान रहे कि श्राद्ध के लिए ब्राह्मण को कराए गए भोजन या दान का अभिमान न करें. इससे श्राद्ध का पूरा फल नहीं मिलेगा. 


- पितृपक्ष में ब्राह्मण भोजन के बाद ही घर के सदस्य प्रसाद स्वरूप भोजन ग्रहण करें. ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले खुद भोजन ना करें. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)