Rahu Ketu ke Upay: रातु-केतु को ज्‍योतिष में पापी ग्रह कहा गया है. ये जिस ग्रह के साथ बैठ जाएं, उससे जुड़े जीवन के पहलू पर नकारात्‍मक असर डाल सकते हैं. कई बार तो राहु-केतु दोष के कारण व्‍यक्ति के जीवन में मुसीबतों का ढेर लग जाता है. व्‍यक्ति को तनाव, बीमारियों, धन हानि, रिश्‍तों में समस्‍या, तरक्‍की में बाधा आदि का सामना करना पड़ता है. आज हम जानते हैं खराब राहु-केतु के कारण जीवन में किस तरह की दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है. ताकि राहु-केतु दोष को पहचान कर उसका समय पर उसका उपाय किया जा सके. 


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खराब राहु के लक्षण 


ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के अनुसार यदि कुंडली में राहु खराब हो तो जातक को बहुत मानस‍िक तनाव झेलना पड़ता है. वह सही निर्णय नहीं ले पाता है. आर्थिक नुकसान होता है. उसकी याददाश्‍त कमजोर हो जाती है. इतना ही नहीं उसकी वाणी पर भी नियंत्रण नहीं रहता है. बार-बार अपशब्‍द बोलता है. जिम्‍मेदारी का अहसास नहीं रहता है. घर का पालतू जानवर खो जाता है या मर जाता है. बार-बार एक्‍सीडेंट होता है. कोर्ट-कचहरी के मामले उलझ जाते हैं. रिश्‍ते खराब होते हैं. घर में आकर सांप-छिपकली या पक्षी का मरना या जातक को बार-बार ऐसा दिखना भी खराब राहु का लक्षण है. 


राहु दोष से बचने के उपाय: राहु दोष से बचने के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ करें. मां दुर्गा की पूजा-आराधना राहु दोष खत्‍म करता है. पूजा स्‍थल पर राहु यंत्र की स्‍थापना करना भी राहु के प्रकोप से राहत देता है. राहु के बीज मंत्र ‘ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:’ का 108 बार जाप करें. शनिवार का व्रत रखना और असहायों को दान देना भी राहु दोष से निजात दिलाता है. जिन लोगों को राहु परेशान कर रहा हो उन्‍हें नहाने के पानी में इत्र या चंदन डालकर स्‍नान करना चाहिए.


राब केतु के लक्षण 


ज्‍योत‍िष शास्‍त्र के अनुसार कुंडली में केतु खराब होने पर जातक के बाल झड़ने लगते हैं. नसों में कमजोरी, पथरी की समस्‍या, जोड़ों में दर्द, स्किन प्राब्‍लम जैसी समस्‍याएं होती हैं. जातक की सुनने की क्षमता कम हो जाती है. संतान उत्‍पत्ति में समस्‍या होना, यूरिन संबंधी परेशानी होना भी शामिल है. कमजोर केतु व्‍यक्ति की रीढ़ की हड्डी में भी समस्‍या देता है. 


केतु ग्रह के दोष से बचने के उपाय: केतु के प्रकोप से राहत पाने के लिए मां दुर्गा, हनुमान जी और गणेश जी की पूजा-आराधना करें. दो रंगी कुत्ते को रोटी खिलाएं. काल भैरव को केले के पत्ते पर चावल का भोग लगाएं. तिल के लड्डुओं का दान करें. रविवार के दिन कन्याओं को मीठी दही और हलवा खिलाएं. हर महीने पड़ने वाली दोनों त्रयोदशी तिथि पर केतु को शांत करने के लिए व्रत रखें. काले तिल का दान करें. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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