Shani Dev Mythological Story: शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफल दाता कहा जाता है. जब किसी इंसान की राशि पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या शुरू होती है तो इस दौरान उनको कर्मों के हिसाब से फल मिलता है. ऐसे में हर कोई शनि देव की कृपा पाना चाहता है, कोई उनके कोप दृष्टि का भाजन नहीं बनना चाहता, इसके लिए लोग उनकी पूजा करते हैं और विभिन्न तरह के उपाय करते हैं. शनि देव की मूर्ति या तस्वीर कभी घर में नहीं रखी जाती है. शनि मंदिर में जाकर ही, उनकी पूजा की जाती है. इस दौरान उनके सामने खड़े होकर नहीं, बल्कि थोड़ा तिरछे होकर उनकी उपासना की जाती है, क्योंकि लोग उनसे नजरें नहीं मिलाते, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इसकी वजह से अनिष्ट हो सकता है.   


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श्राप 


ऐसी मान्यता है कि शनि देव की दृष्टि पड़ने से अनिष्‍ट होता है, इसलिए कभी भी ना तो उनके एकदम सामने खड़े होकर दर्शन करते हैं और न उनसे दृष्टि मिलाते हैं. इसके पीछे की वजह उनकी पत्‍नी द्वारा दिया गया श्राप है. इस श्राप की वजह से, वह जिस पर भी अपनी दृष्टि डालेंगे, उनका अनिष्ट हो जाएगा.


कथा


पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार शनिदेव भक्ति में लीन थे. इस दौरान उनकी पत्‍नी संतान प्राप्ति की इच्‍छा लेकर उनके पास आईं, लेकिन शनिदेव ध्यान में इतने मग्न थे कि उन्‍होंने पत्‍नी की तरफ देखा तक नहीं. इस बात से उनकी पत्‍नी बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने शनिदेव को श्राप दे दिया.


वक्री दृष्टि


शनि देव की पत्नी ने उनसे कहा कि यदि तुम अपनी प​त्‍नी को नहीं देख सकते तो तुम्हारी दृष्टि वक्री हो जाएगी. अब ये जिस पर भी पड़ेगी, उसका अनिष्ट हो जाएगा. यहां तक कि भगवान गणेश की गर्दन कटने और उनके गजानन बनने के पीछे की वजह भी शनि देव की दृष्टि को ही बताया जाता है.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)