Sheshnag Kaal Sarp Dosh: कालसर्प दोष में यह अंतिम कालसर्प दोष है. जिस व्यक्ति की कुंडली में बारहवें से लेकर छठे भाव के बीच सभी ग्रह एक तरफ आ जाएं तो शेषनाग कालसर्प योग बनता है. इसमें 12वें भाव में राहु और छठे भाव में केतु रहता है. सर्पों में शेषनाग सर्वाधिक पूज्य हैं, क्योंकि इनके बारे में माना जाता है कि इन्होंने पृथ्वी को अपने फन पर उठा रखा है. जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग बनता है, वह मानसिक तौर पर अशांत बना रहता है. इसके प्रभाव से इंसान शत्रुओं से घिरा रहता है और उसमें भी गुप्त शत्रुओं की अधिकता होती है, साथ ही ये शत्रु उस व्यक्ति को लगातार नुकसान पहुंचाते रहते हैं. 


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कठिन समय में धैर्य और संयम से काम न करने वाले लोग लड़ाई-झगड़ों में फंस जाते हैं. कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं और उसमें पराजय का ही सामना करना होता है. इन सब कारणों से जहां एक ओर आर्थिक तंगी झेलनी होती है, वहीं जीवन में बदनामी भी अधिक होती है. 


पारिवारिक सुख-शांति को लेकर भी ऐसे लोगों की चिंताएं बनी रहती हैं. इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को नेत्र रोग की आशंका रहती है और कोई ऐसा रोग हो जाता है, जिसमें सर्जरी भी करानी पड़ सकती है.


उपाय


- शेषनाग कालसर्प दोष की शांति के लिए प्रभावित व्यक्ति को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. 


- सावन माह में किसी सोमवार के दिन रुद्राभिषेक कराने से भी इसके अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है.


- कालसर्प दोष के कष्ट को कम करने के लिए चांदी की नाग की चोटी वाली अंगूठी को धारण किया जाता है.


- इस दोष के निवारण के लिए नागपंचमी के दिन भगवान शिव का पूजन और अभिषेक करना चाहिए.


- नागपंचमी के दिन शिवजी का पूजन करने के साथ ही चांदी एवं अन्य किसी धातु के बने नाग-नागिन का जोड़ा मंदिर में दान करने से दोष शांत होता है.


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