शिवलिंग जलाभिषेक के लिए आप भी करते हैं स्टील का लोटे का इस्तेमाल, तो आपके साथ भी हो सकता है ऐसा!
Shiv Ji Puja Niyam: सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है. कहते हैं कि इस माह में की गई सच्चे मन से पूजा-अर्चना का फल बहुत जल्द मिलता है. लेकिन पूजा के दौरान की गई छोटी-छोटी गलतियां भोलेशंकर को नाराज भी कर सकती हैं. जानें शिवलिंग जलाभिषेक के दौरान किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए.
Puja-Path ke Niyam In Hindi: हिंदू शास्त्रों में हर माह का अपना विशेष महत्व बताया गया है. हर माह किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है. सावन का महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना और उपासना का माह है. इस माह में सच्चे मन और श्रद्धा का फल भक्तों को शीघ्र मिलता है. कहते हैं कि भगवान शिव मात्र एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं औरर भक्तों पर जमकर कृपा बरसाते हैं. लेकिन एक ये काम करते हुए भी गलती हो जाए, तो भक्तों को पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता.
जी हां. हम यहां बात कर रहें हैं शिवलिंग जलाभिषेक की. शास्त्रों में हर चीज को लेकर कुछ नियमों के बारे में बताया गया है. शिवलिंग जलाभिषेक के लिए भी कुछ जरूर नियम बताए गए हैं. अगर इन बातों का ध्यान रखोगे तो भोलेनाथ को शीघ्र प्रसन्न करने में जल्द सफल हो जाओगे. ऐसे ही आज हम जानेंगे शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए किस धातु के लोटे का इस्तेमाल उत्तम माना गया है और किस धातु का इस्तेमाल महादेव को नाराज कर सकता है.
जलाभिषेक के लिए इस धातु का लोटा है उत्तम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अक्सर लोग शिवलिंग जलाभिषेक के समय कुछ जरूरी बातों को नदरअंदाज कर देते हैं, जिससे उन्हें पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता. अक्सर लोगों को शिवलिंग जलाभिषेक के लिए दौरान स्टील के लोटे का इस्तेमाल करते देखा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं स्टील के लोटे से शिवलिंग जलाभिषेक करना अशुभ माना गया है.
जी हां, शास्त्रों में कहा गया है कि कभी भी ऐसे बर्तनों से शिवलिंग जलाभिषेक न करें जिनमें स्टील का इस्तेमाल किया गया हो. ज्योतिष अनुसार शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय हमेशा तांबे के लोटे का इस्तेमाल ही उत्तम बताया गया है. इसके साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि जल अर्पित करते समय जलधारा टूटनी नहीं चाहिए. लेकिन अगर आप जल के स्थान पर दूध अर्पित कर रहे हैं, तो इस दौरान तांबे का इस्तेमाल वर्जित माना गया है.
शंख से न चढ़ाएं जल
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव की पूजा में शंख का इस्तेमाल भी वर्जित माना गया है. एक पौराणिक कथा के अनुसार शिव जी ने एक बार शंखतूड़ राक्षश का वध किया था और ऐसा माना जाता है कि शंख उसी राक्षस की हड्डियों से बन है. इसलिए शिव जी की पूजा में भूल से भी शंख न इस्तेमाल करें और न ही शंख से जल अर्पित करें.
शाम को न चढ़ाएं जल
पुराणों के अनुसार शाम के समय भी शिवलिंग पर जल अर्पित नहीं किया जाता. कहते हैं कि शिवलिंग पर जल अर्पित करने का सबसे उत्तम समय सुबह 5 बजे से लेकर दोपहर 11 बजे तक है. ऐसे में शाम के समय अर्पित किया जल कभी भी फलदायी नहीं माना जाता.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)