Takshak Kalsarp Yoga: कुंडली में जब केतु लग्न भाव तथा राहु सप्तम भाव में हो और अन्य सभी ग्रह इनके बीच में हों तो कालसर्प योग होता है. इस योग को दुष्प्रभाव के रूप में नकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं. सर्वाधिक प्रभाव वैवाहिक जीवन एवं संपत्ति स्थायित्व पर पड़ता है. नौकरी करने वालों को पदोन्नति में हमेशा रुकावटें आती रहती हैं. शत्रुओं से भी नुकसान मिलता है और सेहत के मामले में असाध्य रोगों से जूझना पड़ता है. मानसिक परेशानी के लिए कोई न कोई कारण पैदा होता रहता है. व्यापार में किसी भी तरह की साझेदारी फायदेमंद नहीं रहती है और मानसिक तनाव देती है. 


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इस कालसर्प दोष से पीड़ित लोगों को पैतृक संपत्ति होते हुए भी उसका सुख नहीं प्राप्त होता है. यदि किसी तरह से पैतृक संपत्ति मिल भी गयी तो या तो वह संपत्ति किन्हीं कारणों से बर्बाद हो जाती है या फिर व्यक्ति उसे दान कर देता है. ऐसे लोग प्रेम संबध में असफल पाए जाते हैं. यदि उन्होंने किसी से प्रेम किया तो धोखा ही मिलता है. वैवाहिक जीवन में इतना अधिक तनाव रहता है कि नौबत तलाक तक की आ जाती है. इनमें सट्टा, जुएं आदि की आदत हो जाती है और उसमें फंसकर यह अपनी सारी संपत्ति बर्बाद कर देते हैं. 


उपाय 


- किसी योग्य ज्योतिषी या आचार्य से कालसर्प दोष निवारण के लिए उनके बताए गए उपायों को करते रहें. नाग देवता की पूजा और पाठ नियमित करना होगा.


- सवा महीने तक रोजाना जो के दाने पक्षियों को खिलाएं.


- किसी भी शुभ मुहूर्त में घर में नाग देवता की पूजा करें. रुद्राभिषेक कराएं. 


- मसूर की दाल का प्रयोग करने के बाद पांच मंगलवार तक व्रत रखकर हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर घोल कर चढ़ाएं. बूंदी के लड़्डू का भोग अर्पित कर प्रसाद बांटें. अंतिम मंगलवार को सवा पाव सिंदूर, सवा हाथ लाल वस्त्र, सवा किलो बताशा और बूंदी के लड्डू का भोग लगाकर लोगों को दें.


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