Vyapar ke vastu upay: कारोबार में वास्तु का बहुत अधिक महत्व है, कई बार देखने में आता है कि कुछ व्यापारी कम मेहनत करके ही अपनी बुद्धि और कौशल से कुछ ही समय में अपार धन कमा लेते हैं जबकि कुछ ऐसे व्यापारी भी होते हैं जो बहुत मेहनत करने के बाद भी कम ही सफलता हासिल कर पाते हैं. दिन भर कार्यस्थल पर बैठने के बाद भी न तो ग्राहक आते है और न ही ग्राहक. ऐसे लोगों में से ही कुछ लोग अपनी किस्मत को कोसने लगते हैं, आपको अपने भाग्य को दोष देने के पहले अपने व्यापार स्थल के वास्तु की जांच करानी चाहिए कि कहीं वहां पर वास्तु दोष तो नहीं जिसके कारण आपको परिश्रम का उचित फल नहीं मिल पा रहा है.  


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व्यापार में वास्तु शास्त्र का महत्व


1. भारतीय वास्तु शास्त्र में व्यापार की बढ़ोत्तरी के लिए कई नियम बनाए गए हैं और उन नियमों के अनुसार कारोबार करने पर व्यक्ति मनचाही कमाई कर सकता है. किसी भी व्यवसाय को व्यक्ति इसलिए करता है कि उसका और उसके परिवार के साथ ही उसके प्रतिष्ठान में काम करने वालों का जीवन यापन, भरण पोषण आराम से हो सके किंतु यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो एक बार वहां के वास्तु पर जरूर विचार करना चाहिए. 


2. वास्तु के नियम पूरी तरह से वैज्ञानिक, शास्त्र सम्मत और प्राकृतिक हैं, स्थान और कारोबार की प्रकृति का भी गहरा मेल रहता है. कई बार कोई व्यवसाय किसी एक स्थान पर सफल नहीं होता है किंतु यदि वहीं कार्य किसी दूसरे स्थान पर किया जाए तो वहां पर अपार सफलता मिलने लगती है क्योंकि वहां का कारोबार वास्तु के अनुकूल है. 


3. हमेशा अग्नि कोण अर्थात दक्षिण पूर्व की दिशा में अग्नि संबंधित कार्य करने से लाभ होता है. इसी तरह यदि आप जल आधारित व्यवसाय करना चाहते हैं तो उसे भवन के ईशान कोण अर्थात उत्तर पूर्व की दिशा में स्थापित करना चाहिए. ऐसा करते ही व्यवसाय और वास्तु का तालमेल बैठ जाएगा और आपकी मनचाही कमाई होने लगेगी.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)