Vastu Shastr: वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो घर की डिज़ाइन को प्राकृतिक ऊर्जा के साथ संतुलित करने के तरीकों पर आधारित है. इसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक तरीके से स्थानीय और व्यक्तिगत स्तर पर ज्यादा से ज्यादा सुख और समृद्धि प्राप्त करना है. वास्तु के अनुसार यदि घर या कार्यालय को सही दिशा बनाया जाए, तो यह सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को आकर्षित कर सकता है. वास्तु शास्त्र का पालन करने से पर्सनल और प्रोफेसनल जीवन में संतुलन बनाया जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य, धन और सुख-शांति में वृद्धि हो सकती है. इसके अनुसार पश्चिम दिशा धातु और सुख-समृद्धि से संबंधित है, और इसमें सफेद रंग की चीजें रखने से संतुलन बना रहता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार यह दिशा घर की छोटी बेटी से भी जुड़ी होती है. वही, दक्षिण दिशा अग्नि और लाल रंग से संबंधित है, और इसमें लाल रंग और अग्नि संबंधित चीज़ें रखने से घर की मंझली बेटी को फायदा होता है.


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पश्चिम दिशा


पश्चिम दिशा हमारे सुख, खुशी और घर में शांति से संबंधित है. वास्तु के अनुसार, इस दिशा की सही व्यवस्था से व्यक्ति के हर्ष तत्व में बढ़ोतरी होती है. यह दिशा घर की छोटी बेटी से जुड़ी होती है. सफेद रंग इस दिशा को संतुलित रखता है. इसलिए, पश्चिम दिशा में सफेद रंग की चीज़ें रखने से हर्ष और समृद्धि में वृद्धि होती है. इस दिशा का संबंध हमारे मुंह और चेहरे से भी होता है, इसलिए इसे संतुलित रखना चाहिए.


दक्षिण दिशा


दक्षिण दिशा अग्नि का प्रतीक है. इसका प्रतिनिधित्व लाल रंग से होता है और गर्मी के मौसम से संबंधित है. जब हम इस दिशा में लाल रंग की चीजें रखते हैं, या लाल रंग उपयोग करते हैं, तो वह इस दिशा के अग्नि तत्व को संतुलित रखता है. यह दिशा घर की मंझली बेटी से जुड़ी होती है, और इसमें अग्नि संबंधित चीज़ें रखने से उसे फायदा होता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)