Significance of Pitru Paksha: घर के वास्तु दोष से भी पितृ दोष का निर्माण होता है. इससे आपकी पूरी लाइफ ही डिस्टर्ब हो जाती है. पितृदोष से होने वाला डिस्टर्बेंस की तरह का होता है, जिनमें एक सामान्य है और दूसरा गंभीर किस्म का माना जाता है. पितृ दोष के चलते आप मन और शरीर दोनों से डिस्टर्ब हो जाते हैं. सामान्य पितृ दोष का मतलब है कि आप कुछ ऐसे क्रिया कलापों में लग गए हैं, जिनसे आपके पितर दुखी हैं. घर में दक्षिण पश्चिम के मध्य की दिशा अर्थात नैऋत्य कोण की दीवार में नीले रंग का प्रयोग किया गया है तो इससे यह भी पता चल रहा है कि अब आपको पितृ दोष को लेकर अलर्ट हो जाना चाहिए. इस दिशा में डस्टबिन या कूड़ा इकट्ठा किया जा रहा है तो यह भी बता है कि आपके इस कार्य से आपके पितर नाराज हो रहे हैं.  


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इससे अलग उत्तर और पूर्व के मध्य अर्थात ईशान कोण जो नैऋत्य का दूसरा सिरा होता है, यहां पर वास्तु पुरुष का सिर माना जाता है और सिर का संबंध बुद्धि और विवेक से होता है. अगर आपकी बुद्धि सही बनी रहे तो आप किसी भी कठिन परिस्थिति से बड़े आराम से निकल सकते हैं और यदि बुद्धि ही भ्रष्ट या भ्रमित हो जाए तो शरीर के सारे अंग डिस्टर्ब हो जाएंगे. विश्वकर्मा प्रकाश ग्रंथ में भगवान विश्वकर्मा जी ने कहा है कि उत्तर और पूर्व दिशा में देवताओं का स्थान है और वहीं नैऋत्य कोण पितर देवता है यानी दोनों कोनों को देवताओं ने संभाल रखा है.  


पितर देवता परिवार के पूज्यनीय हैं और उत्तर पूर्व के देवता सार्वभौमिक पूज्यनीय होते हैं. यदि दोनों पूज्यनीयों को उनके तत्व के अनुसार सही जगह पहुंचा दिया जाए तो जीवन में फिर कोई समस्या नहीं रह जाती है.  


ईशान कोण में शौचालय का होना भी पितृ दोष का ही लक्षण है. इससे वंश वृद्धि में दिक्कत आती है. मानसिक रूप से भू स्वामी को तनाव रहता है, और परिवार की सबसे छोटी संतान अधिकांशतः बीमार रहती है. ईशान में सीढ़ियां होने पर भी इसी तरह का फल प्राप्त होता है.  


नैऋत्य कोण में यदि वाटर स्टोरेज या शौचालय है तो यह गंभीर किस्म का डिस्टर्बेंस होता है क्योंकि नैऋत्य कोण आपकी परफॉर्मेंस से संबंधित होता है. शौचालय अशुद्ध और अनुपयोगी चीजों का त्याज्य स्थान होता है. नैऋत्य कोण का संबंध भौतिकता से भी होता है. जल तत्व के यहां रहने से भौतिकता में कमी आती है. जिस मकान के नैऋत्य कोण में यह दो चीजें होती हैं तो इसका सीधा संबंध आपके पितरों की रुष्टता से है यानी पितर आपसे खुश नहीं हैं. इस दिशा में खिड़की दरवाजा होना भी गंभीर पितृ दोष होता है इसलिए यदि दक्षिण पश्चिम में खिड़की दरवाजा है तो उसे हटवा दें अथवा बंद ही रखें.


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