Kundali Milan Before Marriage: सनातन धर्म में शादी विवाह की परंपरा बेहद पवित्र होती है. इसमें केवल एक लड़के और लड़की का मिलन नहीं होता बल्कि दो परिवारों का आपस में रिश्ता जुड़ता है. सनातन धर्म की विवाह परंपरा में कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं और शादी से पहले लड़का और लड़की की कुंडली देखी जाती है. यह बात आपने अक्सर लोगों से सुनी होगी कि जब भी लड़का और लड़की की कुंडली मिलाई जाती है, तब इस बात का ध्यान रखा जाता है कि दोनों एक समान गोत्र के न हों यानी कि वर और वधु का गोत्र अलग-अलग होना चाहिए.


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क्यों गोत्र अलग-अलग रखा जाता है?


आपके मन में भी यह सवाल जरूर आया होगा कि शादी के दौरान क्यों वर-वधू का गोत्र अलग - अलग रखा जाता है. शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि एक समान गोत्र के लड़के और लड़की आपस में भाई-बहन होते हैं. इसलिए शादी के दौरान गोत्र अलग होना बेहद जरूरी है. यानी समान गोत्र में शादी करने वाले एक ही परिवार के माने जाते हैं. एक ही गोत्र में पैदा हुए लोगों की शादी आपस में होने पर हिंदू धर्म में यह पाप माना जाता है. समान गोत्र में शादी करने को ऋषि परंपरा का उल्लंघन कहा जाता है. एक समान गोत्र में शादी करने पर विवाह दोष उत्पन्न होता है. विवाह दोष के उत्पन्न होने से वर-वधु के रिश्ते में खटास पैदा होती है और दूरियां बढ़ने लगती हैं.


संतान में दोष


शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि अगर समान गोत्र में किसी की शादी हुई है तो उनसे उत्पन्न संतान लंबे समय तक बीमारियों की चपेट में रहता है. इस तरह की संतान में अवगुण पाए जाते हैं. कहा जाता है कि एक ही गोत्र में शादी करने से जो संतान उत्पन्न होती है, उसमें शारीरिक और मानसिक रोग उत्पन्न होते हैं. इसके अलावा इन संतानों में नयापन भी नहीं होता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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