Chain Pulling Rules in Train: भारतीय रेलवे में ट्रेन के डिब्बों में एक इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम दिया जाता है जिसका मकसद ट्रेन को किसी आपात स्थिति में रोकना है. ये सिस्टम एक चेन खींचने से एक्टिवेट हो जाता है जिसके बाद ट्रेन में ब्रेक अप्लाई हो जाते हैं और ये रुक जाती है. चेन पुलिंग सिस्टम का मकसद ट्रेन को अचानक रोकना है, जो इमरजेंसी स्थिति में उपयोगी हो सकता है. जब किसी यात्री द्वारा ट्रेन की चेन खींची जाती है, तो यह सिस्टम कुछ खास तकनीक से काम करता है:


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चेन पुलिंग सिस्टम का काम करने का तरीका:


चेन पुलिंग की प्रक्रिया: ट्रेन के डिब्बों में लगाई गई चेन को खींचने से एक लीवर सक्रिय होता है, जो ट्रेन के ब्रेकिंग सिस्टम को प्रभावित करता है. यह लीवर कोच के ब्रेक पाइप से जुड़ा होता है.


ब्रेक पाइप में प्रेशर ड्रॉप: चेन खींचने से ब्रेक पाइप में हवा का दबाव (प्रेशर) कम हो जाता है. ट्रेन के ब्रेकिंग सिस्टम में हवा का दबाव बनाए रखना बेहद ही जरूरी होता है. दबाव कम होते ही यह ट्रेन के ब्रेकिंग सिस्टम में संकेत भेजता है कि इमरजेंसी स्थिति में ब्रेक लगने चाहिए.


एयर ब्रेक का सक्रिय होना: दबाव में कमी आने की वजह से ट्रेन का एयर ब्रेक सिस्टम तुरंत एक्टिव हो जाता है और ट्रेन के पहियों पर ब्रेक लगने लगते हैं, जिससे ट्रेन धीमी हो जाती है और धीरे-धीरे रुक जाती है.


इंजन ड्राइवर को अलर्ट: चेन पुलिंग से ड्राइवर के पास भी एक सिग्नल पहुंचता है, जिससे उसे पता चलता है कि ट्रेन में किसी ने चेन खींची है. ड्राइवर को इस स्थिति में सावधानी से ट्रेन को कंट्रोल में रखना होता है.


ध्यान देने वाली बातें


बिना जरूरत के और मजे-मजे में ट्रेन के अंदर बैठकर चेन पुलिंग करने की वजह से यात्रियों पर जुर्माना या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. केवल इमरजेंसी स्थिति में ही चेन का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.


इस तकनीक का मकसद इमरजेंसी में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है और ट्रेन को तुरंत रोकने में मदद करना है.