Tubeless tyre vs tube tyre: ट्यूबलेस टायर तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं. इन दिनों अधिकतर गाड़ियों और बाइक्स में ट्यूबलेस टायर (Tubeless tyres) का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. जैसा कि नाम से ही पता लग रहा है कि ट्यूबलेस टायर में ट्यूब नहीं होती. यह दिखने में एक पारंपरिक टायर जैसा ही होता है. टायर को इस तरह से बनाया गया है कि उसमें हवा अपने आप समा सके. पंक्चर होने की स्थिति में इसमें से हवा भी धीरे-धीरे निकलती है. साथ ही बिना टायर निकाले ही आप पंक्चर जुड़ा सकते हैं. इतने फायदे होने के साथ ट्यूबलेस टायर के नुकसान भी होते हैं. अगर आप भी अपनी कार या बाइक में यह टायर लगवाने की सोच रहे थे, तो पहले इसके 3 नुकसान जान लीजिए:


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1. पारंपरिक टायर से महंगा
ट्यूबलेस टायर पारंपरिक टायरों के मुकाबले महंगे होते हैं. इनकी कीमत ब्रांड और साइज के हिसाब से अलग-अलग होती है. हालांकि कीमत के साथ क्वालिटी भी अच्छी होती जाती है. ऐसे में आप सस्ते के चक्कर में कोई खराब ट्यूबलेस टायर न खरीद लेना. 


2. फिट करना मुश्किल
ट्यूबलेस टायरों को फिट करने या निकलाने के लिए एक्सपर्ट की आवश्यकता होती है. ट्यूबलेस टायर मजबूत होते हैं, लेकिन कभी न कभी तो इन्हें बदलने की आवश्यकता होगी. जो इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते वह टायर बदलने के चक्कर में रिम को नुकसान पहुंचा सकते हैं. वहीं पारंपरिक टायर को बदलने का तरीका बेहद आसान होता है. 


3. इस तरह खराब होने का खतरा
ट्यूबलेस टायर का पंक्चर जोड़ना आसान होता है, लेकिन अगर इसकी साइडवॉल पर पंक्चर हो जाए तो लेने के देने पड़ जाते हैं. इस तरह का पंक्चर टायर और रिम, दोनों को खराब कर सकता है. ऐसी परिस्थिति में ट्यूब वाले टायर में ट्यूब बदलने का ऑप्शन होता है. लेकिन ट्यूबलेस टायर को बदलना ही पड़ता है. इसलिए जब भी ऐसा पंक्चर दिखे तो गाड़ी ज्यादा दूर न चलाएं और एक्सपर्ट को बुला लें. 


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