Deoghar Shakti peeth: देवघर में बैद्यानाथ धाम 10वां ज्योतिर्लिंग है.  देवों के देव महादेव के इस ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है. शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर को शिव-शक्ति का मिलन स्थल माना जाता है,  साथ ही यह विश्व का इकलौता शिव मंदिर है, जहां शिव-शक्ति एकसाथ विराजमान है. इसके अलावा पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि यहां माता सती का ह्रदय कट कर गिरा था इसलिए इसे हृदय पीठ भी कहते हैं.


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बाबाधाम की पौराणिक कथा-


पौराणिक कथा के अनुसार, राजा दक्ष के महायज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित न किए जाने पर माता सती उनसे रुष्ट हो गई थीं और अपना अपमान समझ अग्निकुंड में खुद को समाहित कर लिया था जिसके बाद भगवान शिव क्रोधित हो गए थे और माता सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव करने लगे थे. शिव के इस क्रोध से प्रलय आ जाता ऐसे में भगवान विष्णु के चक्र से सती के शरीर के टुकड़े- टुकड़े कर दिए गए जहां जहां भी शरीर का हिस्सा गिरा वह स्थान शक्तिपीठ कहलाया. माना जाता है कि देवघर बैद्यनाथ धाम में माता का हृदय कटकर गिरा था इसलिए इसे शक्तिपीठ भी कहते हैं.


शिव और शक्ति एक साथ विराजमान


पुजारी बताते हैं कि यहां पहले शक्ति स्थापित हुई उसके बाद शिवलिंग की स्थापना हुई है. भगवान भोले का शिवलिंग सती के ऊपर स्थित है. इसलिए इसे शिव और शक्ति के मिलन स्थल के रूप में भी जाना जाता है.


मनोकामना लिंग के नाम से भी प्रसिद्ध है मंदिर 


श्रद्धालु बताते हैं कि यह विश्व का इकलौता मंदिर है जहां शिव और शक्ति है एक साथ विराजमान हैं. इसलिए श्रद्धालु जब बाबा धाम आते हैं तो जल का एक पात्र शिवलिंग पर अर्पित करते हैं और दूसरा पार्वती मंदिर में अर्पित करते हैं. यहां सच्चे मन और श्रद्धा से मांगी गई सभी मनोकामना पूरी होती है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)