Dalit Movement: राहुल-प्रियंका की ब्‍लू ड्रेस ने ध्‍यान खींचा, दलित प्रतिरोध से क्‍यों जुड़ा है नीला रंग?
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Dalit Movement: राहुल-प्रियंका की ब्‍लू ड्रेस ने ध्‍यान खींचा, दलित प्रतिरोध से क्‍यों जुड़ा है नीला रंग?

Rahul and Priyanka Gandhi Blue dress: आज बाबा साहेब के प्रति सम्‍मान दिखाने के मकसद से राहुल-प्रियंका गांधी समेत विपक्षी नेता नीले रंग की ड्रेस में संसद पहुंचे. 

Dalit Movement: राहुल-प्रियंका की ब्‍लू ड्रेस ने ध्‍यान खींचा, दलित प्रतिरोध से क्‍यों जुड़ा है नीला रंग?

Dr Ambedkar and Blue Colour: बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर पर अमित शाह की टिप्‍पणी के बाद सर्दी के माहौल में भी दिल्‍ली का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. इस मुद्दे पर संसद में लगातार जारी गतिरोध के बीच आज बाबा साहेब के प्रति सम्‍मान दिखाने के मकसद से राहुल-प्रियंका गांधी समेत विपक्षी नेता नीले रंग की ड्रेस में संसद पहुंचे. वहां सत्‍ता पक्ष-विपक्ष में धक्‍कामुक्‍की हो गई और कई सांसद घायल हो गए लेकिन राहुल की नीली टीशर्ट और प्रियंका की ब्‍लू कलर साड़ी ने लोगों का ध्‍यान खींचा. सवाल उठा कि ब्‍लू कलर का बाबा साहेब से क्‍या कनेक्‍शन है?

प्रतिरोध का प्रतीक
दरअसल दलित आंदोलन को शुरू से नीले रंग से जोड़कर देखा जाता रहा है. उसकी कई वजहें मानी जाती हैं. पहली बात ये है कि आकाश का रंग नीला है और आसमान के नीचे सब बराबर हैं. यानी आकाश रूपी छत के तले सभी इंसान बराबर हैं. कहीं जात-पात, ऊंच-नीच का बंधन नहीं है. ये व्‍यापकता का परिचायक है. इस‍ लिहाज से देखें तो ब्‍लू कलर बराबरी और स्‍वतंत्रता का प्रतीक है. यानी असमानता-गैरबराबरी के खिलाफ प्रतिरोध का सूचक है. इसी वजह से बाबा साहेब को ब्‍लू कलर पसंद था. वह हमेशा इसलिए ही ब्‍लू कलर का सूट पहनते थे. इसलिए ही बाबा साहब की प्रतिमा हमेशा नीले रंग के कोट में दिखती है. उनके एक हाथ में संविधान की किताब और दूसरे हाथ की एक अंगुली उठी दिखती है जोकि आगे बढ़ने का सूचक है.

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एक तथ्‍य ये भी है कि 1942 में बाबा साहब ने शेड्यूल्‍ड कास्‍ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया पार्टी की स्‍थापना की थी. उस पार्टी के झंडे का रंग नीला था और उसके मध्‍य में अशोक चक्र स्थित था...इसके बाद 1956 में जब पुरानी पार्टी को खत्‍म कर रिपब्लिकन पार्टी का गठन किया गया तो इसमें भी इसी नीले रंग के झंडे का इस्‍तेमाल किया गया. बाद में बसपा ने भी इसी रंग को अपनाया और इस तरह यह दलित अस्मिता और आंदोलन का प्रतीक बन गया.

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