Coconut Importace In Puja: आखिर नारियल के बिना क्यों अधूरी मानी जाती है पूजा, तीन बिंदु हैं इनका प्रतीक
Importance Of Coconut: हिंदू धर्म में नारियल सबसे पवित्र फल माना गया है. कहते हैं कि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास होता है. लोग चाहे कोई काम शुरू कर रहे हों, घर बनाने से जा रहे हो या कोई वाहन आदि खरीदने जा रहे हों सबसे पहले नारियल ही तोड़ा जाता हैं.
Significance of Coconut: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को नारियल चढ़ाना एक सबसे आम प्रथा है जो सदियों से चली आ रही है. किसी भी शुभ काम की शुरुआत से नारियल तोड़ा जाता है. वहीं पूजा के दौरान भी नारियल को उपोयग किया जाता है. लोग चाहे कोई काम शुरू कर रहे हों, घर बनाने से जा रहे हो या कोई वाहन आदि खरीदने जा रहे हों सबसे पहले नारियल ही तोड़ा जाता हैं. हिंदू धर्म में नारियल सबसे पवित्र फल माना गया है. कहते हैं कि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास होता है.
पूजा में नारियल का उपयोग
संस्कृत में नारियल को श्रीफला या "भगवान का फल" कहा जाता है. नारियल एकमात्र ऐसा फल है जिसका उपयोग 'भगवान' के प्रतीक के रूप में किया जाता है. हिंदू धर्म में नारियल किसी मंदिर में सबसे आम प्रसाद में से एक है और यह सभी पूजाओं में एक आवश्यक भूमिका भी निभाता है. नारियल एक सात्विक फल है यानी यह पवित्र, शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ कई गुणों से भी भरपूर है. नारियल को तोड़कर भगवान के सामने रखा जाता है और बाद में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.
कब से शुरु हुई ये प्रथा
एक समय था जब भगवान को प्रसन्न करने के लिए इंसानों और जानवरों की बलि दी जाती थी. ऐसा तब हुआ जब आध्यात्मिक गुरु, आदि शंकराचार्य ने कोई धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व न देखकर ‘नरबलि’ की अमानवीय प्रथा की निंदा की और इसे अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए नारियल की भेंट के साथ बदल दिया. नारियल चढ़ाना और फोड़ना यह दर्शाता है कि मैं खुद को आपके चरणों में अर्पित करता हूं.
पूजा में नारियल का महत्व
नारियल हिंदू त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वास होता है. भक्त नारियल को पूजा की वस्तु मानकर तीनों देवताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस प्रकार वे त्रिदेवों का आशीर्वाद पाते हैं.
नारियल में तीन बिंदु भगवान शिव की तीन आंखों का प्रतीक हैं.
नारियल की तुलना इंसान के सिर से भी की जाती है. रेशा बाल है, खोल खोपड़ी है, पानी ब्लड है और मांस मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है.
नारियल तोड़कर हम अपना अहंकार भी तोड़ते हैं, क्योंकि भगवान अपने भक्तों से अहंकार रहित और पवित्र होने की अपेक्षा करते हैं.
भगवान को नारियल अर्पित करने से पहले उसके अंदर के रस को उंडेला दिया जाता है, जिसका मतलब है कि हमें अपनी वासनाओं या स्वार्थी विचारों को दूर कर देना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)