...तो जारी रहेंगे कायराना हमले?
इस बात का अंदेशा पहले से ही था कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों में खलल डालने की कुत्सित कोशिश पाकिस्तान की ओर से की जाएगी। पांच दिसंबर को हुए आतंकी हमले इसी बात की तस्दीक करते हैं। ऐसे हमलों को टालने के खुफिया एजेंसियों और सेना के अग्रसक्रिय प्रयासों के चलते आतंकी अपने नापाक मंसूबों में कामयाब तो नहीं हो पाए लेकिन इन हमलों में सेना को नुकसान उठाना पड़ा और तीन पुलिसकर्मियों सहित आठ जवान शहीद हो गए। मारे गए आतंकियों से बरामद हथियार और सामग्रियां पाकिस्तान निर्मित हैं। इससे पाकिस्तान को दोहरा चेहरा फिर बेनकाब हुआ है।
नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद विश्व पटल पर भारत का उभार जिस तेजी के साथ हो रहा है उससे पाकिस्तान कहीं न कहीं चिढ़ा हुआ है। वैश्विक मंच पर अपनी प्रासंगिकता एवं मौजूदगी का अहसास कराने के लिए उसने एक बार फिर कश्मीर का बेसुरा राग छेड़ा लेकिन किसी भी देश ने उसकी मांग को तवज्जो नहीं दी। गत अगस्त में नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द हो जाने के बाद से पाकिस्तान की कोशिश कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण और भारत को नीचा दिखाने की रही है। अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान कश्मीर की तरफ खींचने के लिए उसने लगातार कोशिश की है, हालांकि अपनी इस कोशिश में उसे हर बार निराशा हाथ लगी है।
सितंबर-अक्टूबर माह में उसने संघर्षविराम का लगातार उल्लंघन किया और भारत की जवाबी कार्रवाई में मुंह की खाने के बाद संयुक्त राष्ट्र में गुहार लगाई। लेकिन वहां भी उसकी दाल नहीं गली। अमेरिका ने भी कश्मीर मसले में दखल देने से इंकार कर दिया। कश्मीर मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय फलक पर अलग-थलग पड़ चुके पाकिस्तान को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) की बैठक में भी दुश्वारी झेलनी पड़ी। काठमांडू में पीएम मोदी के साथ नवाज की कोई बैठक का न होना और दक्षेस के देशों में मोदी की बढ़ती लोकप्रियता एवं पैठ कहीं न कहीं पाकिस्तान को नागवाज गुजरी है।
गणतंत्र दिवस के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का भारत आना पाकिस्तान को पच नहीं रहा है। नवाज शरीफ ने ओबामा को अपने यहां आने की दावत दी लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ने न्योता स्वीकारने की जगह नवाज को पहले अपने देश के अंदरूनी हालात ठीक करने की नसीहत दे डाली। ओबामा से पहले रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन नई दिल्ली आ रहे हैं। रूस के साथ भारत के कई सामरिक करार होने की उम्मीद है। भारत की दक्षिण एशिया के देशों सहित अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, चीन और अन्य राष्ट्रों के साथ प्रगाढ़ होते रिश्तों से पाकिस्तान बौखलाया और खीझा हुआ है।
भारत की उपलब्धियों से बौखलाया और खीझा हुआ पाकिस्तान आने वाले दिनों में और शरारतपूर्ण एवं कायराना कृत्य कर सकता है। लाहौर में जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद ने भारत में सीधे तौर पर जिहाद छेड़ने की धमकी दी है। उसके पीछे पाकिस्तान की सरकार, सेना और खुफिया एजेंसी खड़ी है। सईद की रैली में लोगों को पहुंचाने से लेकर उसकी सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किसने किए यह बताने की जरूरत नहीं है। पाकिस्तान खुले तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है लेकिन उसने अमेरिका से कहा है कि भारत के चलते आतंकवाद के खिलाफ उसकी मुहिम कमजोर पड़ रही है। दरअसल, पाकिस्तान के सेना प्रमुख राहील शरीफ अभी कुछ दिन पहले अमेरिका गए थे। रहील ने अमेरिकी सैन्य अधिकारियों से शिकायत की कि सीमा पर भारत आक्रामक मुद्रा में है जिसके चलते वजीरिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई कमजोर पड़ रही है।
दरअसल, जम्मू एवं कश्मीर में दो चरणों के बंपर मतदान से कश्मीर पर पाकिस्तान की नीति कमजोर हुई है। विधानसभा चुनाव में पाकिस्तान की आवाज बोलने वाले अलगाववादी एवं हुर्रियत नेता फिसड्डी साबित हुए हैं। उनके बंद या बहिष्कार का कोई मतलब नहीं रह गया है। पाकिस्तान को लग रहा है कि कश्मीर का मुद्दा उसके हाथ से फिसल रहा है। दुनिया का ध्यान कश्मीर की तरफ खींचने के लिए वह छद्म हमले जैसे नापाक हरकतें करना जारी रख सकता है। वह हाफिज सईद और अन्य तरीकों से कश्मीर को ज्वलंत मुद्दा बनाने की कोशिश करेगा जिससे हिंदुस्तान को खबरदार रहने की जरूरत है।