तो क्या बिक जाएगी फ्रिज-वॉशिंग मशीन बनाने वाली whirlpool, अरबों डॉलर की कंपनी को ऐसा क्या हो गया, क्यों आई ऐसी नौबत ?
अमेरिकी होम अप्लायंस मेकर कंपनी व्हर्लपूल कब हमें देशी लगने लगी पता भी नहीं चला. भारत के अधिकांश घरों में आपको व्हर्लपूल के कोई न कोई प्रोडक्ट मिल जाएंगे, लेकिन अब ये कंपनी बिकने की कगार पर पहुंच गई है.
Bosch Bid for Whirlpool:अमेरिकी होम अप्लायंस मेकर कंपनी व्हर्लपूल कब हमें देशी लगने लगी पता भी नहीं चला. भारत के अधिकांश घरों में आपको व्हर्लपूल के कोई न कोई प्रोडक्ट मिल जाएंगे, लेकिन अब ये कंपनी बिकने की कगार पर पहुंच गई है. जर्मन इंजीनियरिंग समूह रॉबर्ट बॉश (Bosch) अमेरिकी होम अप्लायेंस मेकर व्हर्लपूल ( whirlpool) को खरीदने के लिए बोली लगा सकती है. व्हर्लपूल यूएस के अधिग्रहण के लिए बॉश बोली लगा सकती है. इस खबर के आने के बाद व्हर्लपूल इंडिया के शेयरों में 9 फीसदी की तेजी आ गई.
रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि जर्मनी अप्लायंस कंपनी बॉश व्हर्लपूल का अधिग्रहण कर सकती है. इस संबंध में बॉश एडवाइजर्स से बात कर रही है. अगर बॉश इस अधिग्रहण को पूरा कर पाती है तो होम अप्लायंस के मार्केट में उनकी स्थिति बेहद मजबूत हो जाएगी. बॉश के इस कदम से सैमसंग, एलजी जैसी कंपनियों की परेशानी बढ़नी तय है. होम अप्लायंस सेक्टर में बॉश का दबदबा मजबूत हो जाएगा. लॉन्गबो के रिसर्च एनालिस्ट डेविड मैक्ग्रेगर की माने तो अगर कंपनी सही बोली लगाती है तो व्हर्लपूल अधिग्रहण पर विचार कर सकती है.
कितनी बड़ी कंपनी
व्हर्लपूल का मार्केट वैल्यूएशन लगभग 4.8 अरब डॉलर का है. कंपनी के अधिग्रहण की खबरों को लेकर फिलहाल व्हर्लपूल और बॉश की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है. हालांकि इस खबर के बाद से अमेरिकी कंपनी व्हर्लपूल के शेयरों में 12.7% की बढ़ोतरी देखी गई. वहीं व्हर्लपूल इंडिया के शेयर 19 फीसदी तक उछल गए. बीते कुछ सालों में कंपनी ने अपने स्ट्रक्चर में कई बदलाव किए हैं. कंपनी ने इससे पहले अपने यूरोपियन बिजनेस को एक नई कंपनी में बदल दिया है, वहीं अपने मिडिल ईस्ट और अफ्रीकी व्यवसायों को बेच दिया है. कंपनी कई बदलावों से गुजर रही है. इसे भी कंपनी के रिस्ट्रक्चरिंग डेलवपमेंट के तौर पर देखा जा रहा है.
क्यों परेशानी में फंसी व्हर्लपूल
वॉशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर जैसे होम अप्लायंस बनाने वाली कंपनी ने एस्प्रेसो और किचन अप्लायंस के सेक्टर में विस्तार किया. हालांकि की इसकी वजह से कंपनी को इसकी वजह से अपनी पारंपरिक प्रोडक्ट्स के डेवलवपमेंट और प्रोडक्शन में परेशानी का सामना करना पड़ा. इसी साल फरवरी में व्हर्लपूल इंडिया की पैरेंट कंपनी व्हर्लपूल कॉरपोरेशन ने इसमें अपनी 24 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी. कंपनी ने 46.8 करोड़ डॉलर में ये डील की. हालांकि बहुत से जानकारों का मानना है कि चूंकि लोगों के बीच खर्च में कमी आई है, जिसके चलते व्हर्लपूल के कारोबार पर असर पड़ा है.