7वां वेतन आयोग : महाराष्ट्र के 17 लाख कर्मचारी क्यों गए हड़ताल पर? जानिए कारण
महाराष्ट्र सरकार के करीब 17 लाख कर्मचारी 7वें वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने की मांग को लेकर 7 अगस्त से हड़ताल पर चले गए हैं.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार के करीब 17 लाख कर्मचारी 7वें वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने की मांग को लेकर 7 अगस्त से हड़ताल पर चले गए हैं. वह 9 अगस्त तक हड़ताल पर रहेंगे. उनकी मांग सैलरी हाइक के साथ-साथ 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों जल्द से जल्द लागू करने को लेकर है. हालांकि इस हड़ताल में 1.5 लाख राजपत्रित अधिकारी शामिल नहीं हैं. राज्य सरकार ने सोमवार (7 अगस्त 2018) को एक प्रस्ताव जारी किया था, जिसमें कहा गया कि डीए का 14 माह का पेंडिंग एरियर का भुगतान जल्द होगा. इसके बाद गजटेड अफसर हड़ताल से अलग हो गए.
महाराष्ट्र सरकार ने जनवरी 2019 से 7वां वेतन आयोग देने का किया है वादा
जुलाई में महाराष्ट्र सरकार ने ऐलान किया था कि वह अपने कर्मचारियों को जनवरी 2019 से 7वें वेतन आयोग का लाभ देना शुरू करेगी. इस पर कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है, लेकिन अब इससे काम नहीं चलेगा. उसे हमारी मांगें तुरंत माननी होंगी. उसे 7वें वेतन आयोग को तुरंत लागू करना होगा. महाराष्ट्र राज्य सरकारी कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन के महासचिव अविनाश दौंद ने दावा किया कि तीसरे एवं चौथी श्रेणी के सरकारी कर्मचारी के हड़ताल में शामिल होने के कारण सरकारी अस्पतालों सहित विभिन्न विभागों में आवश्यक सेवाएं प्रभावित हुई हैं.
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छठे वेतन आयोग का बकाया तक नहीं मिला
दौंद ने दावा किया कि राज्य सरकार उनकी काफी समय से लंबित मांगों को लेकर केवल ‘जुबानी जमा खर्च’ करती है. प्रदर्शन का आह्वान करने वाले संगठन के अध्यक्ष मिलिंद सरदेशमुख ने बताया, 'जिला परिषदों, शिक्षकों और सरकारी निगमों सहित विभिन्न विभागों के करीब 17 लाख सरकारी कर्मचारी तीन दिवसीय हड़ताल में भाग ले रहे हैं.' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने छठा वेतन आयोग लागू होने के बाद से सरकारी कर्मचारियों को अब तक उनके बकाये का भुगतान नहीं किया है.
1.85 लाख पद खाली पड़े हैं : कर्मचारी यूनियन
कर्मचारी नेताओं ने दावा किया कि महाराष्ट्र में तीसरे एवं चौथी श्रेणी के कर्मचारियों के 1.85 लाख पद खाली पड़े हैं. इसके अलावा, अनुकंपा के आधार पर 30,000 पदों को भरने की मांग राज्य सरकार ने स्वीकार नहीं की. उन्होंने कहा कि अस्पतालों और अन्य आवश्यक सेवा विभागों में कुल पदों का करीब 30 से 40 प्रतिशत पद खाली हैं.
इनपुट एजेंसी से भी