ग्राहकों को मिलेगा हक, सोने के बाद चांदी पर भी हॉलमार्किंग की तैयारी, लेकिन कहां फंसा पेंच?
What is Hallmarking: ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग होने से आप उसकी प्योरिटी को लेकर पक्के रहते हैं. जिस आभूषण पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की तरफ से सत्यापित छह अंक वाला कोड होगा, उसके मालिक को प्योरिटी के बेस पर ज्वेलरी की सही और पूरी कीमत मिल सकेगी.
Silver Hallmarking: चांदी और इससे तैयार की जाने वाली ज्वैलरी को खरीदने और बेचने वालों के लिए नियमों में बदलाव किये जाने की तैयारी है. ग्राहकों की हितों की रक्षा के लिए सोने के बाद अब चांदी के सिक्के और ज्वैलरी पर हॉलमार्किंग का नियम जल्द शुरू हो सकता है. सरकार की तरफ से इस पर तेजी से काम किया जा रहा है. सोने के लिए हॉलमार्क यूनिक आइडेंटिफिकेशन (HUID) सिस्टम लागू किये जाने के बाद भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) अब चांदी से बनी चीजों पर हॉलमार्किंग लागू करने का प्लान कर रहा है.
चांदी पर एचयूआईडी मार्क जल्दी मिट सकता है
चांदी पर हॉलमार्किंग लागू करने में सबसे बड़ी चुनौती चांदी से बनी चीजों के ऊपर लंबे समय तक एचयूआईडी मार्क (हॉलमार्किंग) को बनाए रखना है. जानकारों का कहना है कि सोने के उलट चांदी पर्यावरणीय कारकों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती है. इससे चांदी की चीजों पर बनाया गया एचयूआईडी मार्क समय के साथ खराब या फिर मिट सकता है. इस समस्या के समाधान के लिये किसी ऐसे तरीके को खोजा जा रहा है, जिससे इस पर एचयूआईडी (HUID) मार्क को लंबे समय तक बनाए रखा जा सके.
HUID मार्क को मिटने से बचाने के लिए हो रही तैयारी
इसके लिए चांदी को वायुमंडलीय प्रतिक्रियाओं के प्रभाव से बचाने के लिए रिसर्च किया जा रहा है. हॉलमार्किंग चांदी से बनी चीजों की क्वालिटी को सुनिश्चित करने के लिए बहुत जरूरी है. अभी इस तरह का नियम सोने की ज्वैलरी के लिये है. तकनीकी समस्या का सॉल्यूशन निकलने के बाद चांदी पर हॉलमार्किंग लागू करना जल्द हकीकत बन सकता है. आपको बता दें यूनीक आईडी भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की तरफ से सत्यापित छह अंक वाला कोड होता है, इसे किसी भी ज्वेलरी पर दोहराया नहीं जाता.
हॉलमार्किंग का फायदा
हॉलमार्किंग का फायदा यह होता है कि जिस आभूषण पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की तरफ से सत्यापित छह अंक वाला कोड होगा, उसके मालिका को अपनी ज्वेलरी की सही और पूरी कीमत मिल सकेगी. इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर या उस ज्वेलरी को दोबारा बनवाया जा सकता है या फिर उसे आसानी से बेचा जा सकता है. बीआईएस का अथॉटीकेशन उस ज्वैलरी पर होता है. इसके अलावा यदि किसी कस्टमर को ज्वैलरी की प्योरिटी को लेकर संशय है तो वह उस स्पेशल आईडी से कानूनी मदद ले सकता है.